
IMF से केवी सुब्रमण्यम की अचानक विदाई, सरकार ने क्यों लिया फैसला?
भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम को उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले ही पद से हटा दिया है. यह निर्णय 30 अप्रैल को जारी एक सरकारी अधिसूचना के माध्यम से लिया गया, जिसमें उनके हटाए जाने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है.
बोर्ड बैठक से पहले बड़ा फैसला
सुब्रमण्यम ने नवंबर 2022 में IMF में कार्यकारी निदेशक (भारत) के रूप में कार्यभार संभाला था, और उनका तीन साल का कार्यकाल नवंबर 2025 में समाप्त होने वाला था. सरकार के इस अचानक फैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि यह निर्णय IMF बोर्ड की 9 मई को होने वाली एक महत्वपूर्ण बैठक से ठीक पहले लिया गया है, जिसमें पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की समीक्षा की जानी है. भारत इस बैठक में पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए धन देने का विरोध करने वाला है, विशेष रूप से 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में, जिसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई थी.
सुब्रमण्यम से पहले, सुरजीत भल्ला ने अक्टूबर 2019 में IMF के कार्यकारी निदेशक (भारत) के रूप में कार्यभार संभाला था. भल्ला का कार्यकाल नवंबर 2019 से अक्टूबर 2022 तक था, और उन्हें अगले चुनावी चक्र में फिर से चुना गया था. IMF के कार्यकारी बोर्ड में 24 निदेशक होते हैं, जो सदस्य देशों या देशों के समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं, और यह बोर्ड IMF के दिन-प्रतिदिन के कामकाज के लिए जिम्मेदार होता है.
उठाये गए कई सवाल
सुब्रमण्यम के अचानक हटाए जाने के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके द्वारा IMF के डेटासेट पर उठाए गए सवाल और उनकी किताब के प्रचार में कथित अनियमितताएं इस निर्णय के पीछे हो सकती हैं. हालांकि, सरकार की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.
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