
Vaishakh Purnima 2025Image Credit source: unsplash
Vaishakh Purnima 2025: हिंदू धर्म में वैशाख का महीना बहुत शुभ माना जाता है और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा की जाती है. कई हिंदू इस दिन सत्यनारायण व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा करते हैं. इस दिन दान-पुण्य करना बहुत फलदायी माना जाता है. लोग गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और जल दान करते हैं. नदियों में स्नान करना इस दिन शुभ माना जाता है और पापों से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं इस साल वैशाख पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन का धार्मिक महत्व क्या है.
वैशाख पूर्णिमा की तिथि | Vaishakh Purnima 2025 date
दृक पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा की तिथि 11 मई दिन रविवार को रात 8 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी. जिसका समापन अगले दिन 12 मई सोमवार को रात 10 बजकर 25 मिनट पर होगा. उदया तिथि के मुताबिक,इस साल वैशाख पूर्णिमा 12 मई 2025 को रखा जाएगा. इस दिन ही वैशाख पूर्णिमा का व्रत, स्नान, दान भी किया जाएगा.
वैशाख पूर्णिमा की पूजा विधि | Vaishakh Purnima Puja Vidhi
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी, सरोवर या घर पर ही स्नान करें. यदि संभव हो तो गंगाजल मिलाकर स्नान करना शुभ होता है. स्नान के बाद, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें और हाथ में जल, अक्षत, फूल और द्रव्य लेकर व्रत का संकल्प लें. अपनी मनोकामना का स्मरण करें. एक साफ चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु या बुद्ध की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. भगवान का ध्यान करते हुए उनका आवाहन करें. भगवान को वस्त्र अर्पित करें और फूल, माला, चंदन आदि से श्रृंगार करें. धूप और दीप जलाएं. भगवान को फल, मिठाई, खीर या अन्य पकवानों का भोग लगाएं. भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य डालें. वैशाख पूर्णिमा की व्रत कथा सुनें या पढ़ें. यदि आप व्रत रख रहे हैं तो शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद भोजन करके व्रत का पारण करें. इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जाता है.
वैशाख पूर्णिमा का महत्व | Vaishakh Purnima Significance
वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण तीनों ही घटनाएं घटित हुई थीं. यह दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र होता है और विश्वभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और व्रत का विशेष महत्व होता है. सत्यनारायण व्रत और कथा का आयोजन कई घरों में होता है. लोग इस दिन तीर्थों में जाकर स्नान करते हैं और भगवान विष्णु तथा शिव की पूजा करते हैं. पितरों के निमित्त तर्पण व दान भी किया जाता है. वहीं गरीबों को अन्न, वस्त्र, जल से भरे घड़े, पंखे आदि का दान करना भी इस शुभ दिन पुण्यदायक माना जाता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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