
बसपा मुखिया मायावती और आकाश आनंद.
बसपा प्रमुख मायावती अपनी तरह से राजनीति करती हैं. मायावती अपनी मर्जी की मालिक हैं और बसपा को उसी तरह से चलाती हैं. बसपा से कब किसे बाहर का रास्ता दिखाना है और कब वापस लेकर सिर-आंखों पर बैठाना है, ये मायावती खुद तय करती हैं. अब आकाश आनंद के मामले में ही देख लीजिए. मायावती ने पहले उन्हें हाथी से उतारकर पैदल किया और फिर वापस लेकर साफ कह दिया है कि आकाश आनंद के खिलाफ कोई भी फिजूल की बातें बर्दाश्त नहीं जाएंगी. आकाश आनंद का हौसला बढ़ाने के दिशा-निर्देश बसपा कैडर को दे दिए हैं. मायावती के बदलते तेवर से साफ है कि आकाश आनंद बसपा में फिर से सियासी उड़ान भरेंगे लेकिन इस बार मायावती अपनी छत्रछाया में ही रखेंगी?
मायावती ने आकाश आनंद को उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ के चलते पार्टी से बाहर कर दिया था. मगर, आंबेडकर जयंती से एक दिन पहले आकाश ने सार्वजनिक रूप से बसपा प्रमुख मायावती से मांफी मांगते हुए पार्टी में दोबारा से लेने की अपील की थी. माफी मांगने के ढाई घंटे बाद ही मायावती ने आकाश आनंद को माफ करते हुए बसपा में वापसी का ऐलान कर दिया था लेकिन कोई पद उन्हें नहीं दिया था.
पिछले दो दिनों में मायावती ने जिस तरह से आकाश आनंद को लेकर एक्स पर पोस्ट किए हैं और पार्टी नेताओं को उनके खिलाफ बयानबाजी करने से मना किया है, उसके बाद साफ है कि मायावती फिर से अहम रोल में लाना चाहती हैं. ये कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही आकाश आनंद को मायावती दोबारा बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती हैं. आकाश की तीसरी बार घर वापसी पर पूरी पार्टी का भविष्य टिका है. इसके चलते ही उन्होंने कहा कि आकाश आनंद का हौसला बढ़ाएं. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आकाश की भूमिका कैसी होगी?
आकाश फिर भरेंगे सियासी उड़ान
सूत्रों की मानें तो मायावती इस बार आकाश आनंद को अपने सानिध्य में ही रखकर राजनीति के दांव-पेंच सिखाएंगी. मायावती ने जिस तरह से अशोक सिद्धार्थ पर आकाश के करियर को बर्बाद करने का इल्जाम लगाया था, उसके चलते अब वो आकाश को पार्टी के किसी दूसरे नेता के साथ लगाने के बजाय अपने सानिध्य में रखेंगी. मायावती ने आकाश को बचपन से ही बसपा में अपने उत्तराधिकारी के तौर पर गढ़ा है और तैयार किया है. ऐसे में किसी दूसरे नेता पर भरोसा करके देख लिया है और अब अपनी ही नजरों के सामने रखेंगी.
मायावती ने अपने भतीजे के बारे में कहा कि आकाश आनंद के मामले में खासकर बहुजन समाज के कुछ स्वार्थी और बिकाऊ लोग, जिन्होंने पार्टी के वोटों को बांटने और कमजोर करने के लिए अपनी अनेक पार्टी व संगठन आदि बनाए हुए हैं, इस बात का मीडिया में आए दिन काफी गलत प्रचार करते रहते हैं. ऐसे अवसरवादी व स्वार्थी तत्वों से पार्टी के लोग सतर्क रहें और आकाश का अब हौसला भी जरूर बढ़ाएं. ताकि वह पार्टी के कार्यां में पूरे जी-जान से जुट जाएं. इसी प्रकार पार्टी में अन्य जो भी लोग वापस लिए गए हैं उन्हें भी पूरा आदर-सम्मान दिया जाए, जो पार्टी हित में है. इस तरह से मायावती ने आकाश आनंद को बसपा में अहम रोल देने के संदेश दे दिए हैं.
बुआ-भतीजे एक-दूसरे की मजबूरी
आकाश आनंद को अपने सियासी भविष्य के लिए बसपा की जितनी जरूरत है, उतनी ही मायावती को भी आकाश की जरूरत है. इस तरह दोनों एक-दूसरे के लिए सियासी मजबूरी भी हैं और जरूरी भी. मायावती बखूबी जानती हैं कि बसपा का सियासी भविष्य सबसे ज्यादा किसके हाथ में सुरक्षित रह सकता है. इसी बात को समझते हुए आकाश की बसपा में वापसी की स्क्रिप्ट लिखी गई और अब उन्हें नई जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी है. इसीलिए मायावती ने आकाश को लेकर सियासी संकेत देने भी शुरू कर दिए हैं.
बसपा प्रमुख मायावती की गोद में खेलकर आकाश आनंद पले-बढ़े और उनकी ही उंगली पकड़कर राजनीति में आए. आकाश का जब अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ की तरफ सियासी झुकाव ज्यादा बढ़ा, खासकर मायावती के राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाए जाने के घोषणा के बाद, अशोक सिद्धार्थ उन्हें राजनीतिक दांव पेंच सिखाने लगे तो मायावती चिंतित हो गईं. 2024 में सीतापुर में आकाश आनंद का दिया गया भाषण हो या बसपा कोऑर्डिनेटर को निशाने पर लिया जाना, इसके पीछे अशोक सिद्धार्थ का ही हाथ था.
सियासी जानकारों की मानें तो मायावती अपने हाथ से गढ़ी गई अपनी मूरत को तोड़ना नहीं चाहतीं, ना ही किसी दूसरे पर वो इतना विश्वास जमा पा रही हैं. मायावती इस बात को महसूस कर रही हैं कि बेशक वो अपने भतीजे आकाश से नाराज होती हों लेकिन आकाश ने उनकी किसी भी बात को कभी काटा नहीं है और ना ही सियासी तौर पर कभी मायावती से अलग लाइन ली है. इसीलिए वापसी के बाद अब उनके पक्ष में फिर से माहौल बनाने में जुट गई हैं.
आकाश को मिशन-2027 की कमान
मायावती ने अब जब आकाश आनंद की वापसी कराई है तो उन्हें अपने ही मार्गदर्शन में रहकर राजनीति सिखाने का काम करेंगी. मायावती भी आकाश के हाथों में ही बसपा का भविष्य देख रही हैं. बसपा के युवा कैडरों का भी मायावती पर आकाश को वापस लेने का दबाव था. दलितों के बीच चंद्रशेखर आजाद तेजी से अपने सियासी पैर पसारते जा रहे हैं, जिससे दलित युवाओं का झुकाव भी आजाद समाज पार्टी की तरफ तेजी से हो रहा है. चंद्रशेखर की नजर जहां यूपी पर है तो कांग्रेस और सपा भी दलितों के सहारे यूपी में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में लगे हैं.
बसपा का उदय यूपी से ही हुआ और राजनीतिक बुलंदी भी यूपी में ही मिली है. मायावती चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रही हैं लेकिन 2012 के बाद से ही बसपा का सियासी ग्राफ लगातार कमजोर होता जा रहा है. बसपा का दलित वोटबैंक पूरी तरह से खिसकता जा रहा है और मायावती का सजातीय जाटव समाज भी अब छिटक रहा है. ऐसे में दलित युवाओं को जोड़ने के लिए मायावती फिर से आकाश को पार्टी में लाईं है.
उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं. यूपी का चुनाव बसपा के सियासी वजूद को बचाने वाला माना जा रहा है. ऐसे में मायावती का फोकस इन दिनों उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में होने वाले 2027 के चुनाव पर है. मायावती यूपी और उत्तराखंड को हमेशा अपनी देख-रेख में रखा है. इसीलिए माना जा रहा है कि मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को यूपी और उत्तराखंड की सियासी पिच पर सक्रिय कर सकती हैं.
सूत्रों की मानें तो आकाश को यूपी में बसपा के पक्ष में सियासी माहौल बनाने के लिए जमीन पर उतार सकती हैं. मायावती के साथ यूपी नेताओं की होने वाली बैठकों में शामिल होंगे और संगठन की समीक्षा करने का भी रोल होगा. इसके अलावा यूपी की अलग-अलग मंडल कोऑर्डिनेटरों के साथ मायावती और आकाश भी बैठक करेंगे और यूपी के सियासी मिजाज की थाह लेंगे. माना जा रहा है कि मंडल की बैठक उसी मंडल में करनी की बात लंबे समय से हो रही है, जिसमें मायावती की जगह आकाश आनंद शामिल हो सकते हैं.
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