
ईरान-अमेरिका के बीच तीसरे दौर की परमाणु वार्ता समाप्त.
ईरान और अमेरिका के बीच तेहरान के तेजी से आगे बढ़ते परमाणु कार्यक्रम को लेकर चली तीसरे दौर की वार्ता शनिवार को समाप्त हो गई. ओमान की राजधानी मस्कट में हुई इस वार्ता में कई गंभीर मुद्दों पर गहन चर्चा हुई और दोनों पक्षों ने भविष्य में फिर से मिलने का वादा किया. वार्ता के दौरान कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं, हालांकि कई बड़े मुद्दों पर मतभेद अब भी कायम हैं. इसी दौरान दक्षिणी ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट पर भीषण विस्फोट ने हलचल मचा दी, जिसने वार्ता की गंभीरता के बीच माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया.
जानकारी के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने वार्ता के बाद राज्य टीवी से कहा कि दोनों पक्षों ने पूरे दिन लिखित बिंदुओं का आदान-प्रदान किया और इस बार बातचीत पहले के मुकाबले कहीं अधिक गंभीर और केंद्रित रही. अमेरिकी मध्यस्थ स्टीव विटकॉफ से जुड़े सूत्र ने भी बातचीत के समाप्त होने की पुष्टि की. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने भी वार्ता को ‘सकारात्मक और उत्पादक’ बताया, हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अभी भी काफी काम बाकी है और अगली बातचीत यूरोप में शीघ्र होने की उम्मीद जताई है.
ओमान के मंत्री का सकारात्मक इशारा
ओमान के विदेश मंत्री बदर अल-बुसैदी ने भी बातचीत के सकारात्मक परिणामों की ओर इशारा करते हुए कहा कि दोनों पक्षों ने आपसी सम्मान और स्थायी प्रतिबद्धताओं के आधार पर एक समझौते की साझा आकांक्षा को पहचाना है. उन्होंने बताया कि ‘मूल सिद्धांतों, उद्देश्यों और तकनीकी चिंताओं’ पर चर्चा हुई और अगली उच्च स्तरीय बैठक की अस्थायी रूप से 3 मई को योजना बनाई गई है. इससे पहले मस्कट और रोम में भी इसी तरह की दो दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं.
वार्ता में दिखा विस्फोट का असर
वार्ता के समानांतर, बंदर अब्बास के शाहिद राजा पोर्ट पर एक बड़े विस्फोट ने ईरान को झकझोर दिया. इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई और 500 से अधिक घायल हो गए. शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, कंटेनर यार्ड में ज्वलनशील सामग्री के कारण यह विस्फोट हुआ, हालांकि तेल और गैस इंडस्ट्री से जुड़े किसी कारण को खारिज कर दिया गया. एक निजी सुरक्षा कंपनी ने उस पोर्ट पर मिसाइल प्रणोदक रसायन से जुड़े एक शिपमेंट की मौजूदगी की भी बात कही है.
क्यों हो रही ये वार्ता?
परमाणु वार्ता का मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना और इसके बदले उस पर लगाए गए कड़े अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाना है. गौरतलब है कि 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में एकतरफा तरीके से खुद को अलग कर लिया था, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया था. इस बार ट्रंप ने वार्ता में प्रगति की उम्मीद जताई है, लेकिन यह भी चेतावनी दी है कि यदि समझौता नहीं हुआ तो सैन्य कार्रवाई का विकल्प खुला रहेगा. वहीं, ईरानी जनता भी आशावादी है कि वार्ता से कुछ सकारात्मक परिणाम निकल सकते हैं और ईरान की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है.
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login