
JEE मेन में 100 पर्सेंटाइल हासिल करने वाले अर्चिस्मान नंदी की कहानीImage Credit source: Instagram/allen_career_institute
कई बच्चे ऐसे होते हैं, जो अपने साथ हुए गंभीर हादसे को कभी भुला नहीं पाते या उन्हें उसे भुलाने में महीनों या सालों लग जाते हैं, जबकि कुछ ऐसे भी होते हैं, जो सबकुछ भुलाकर अपने लक्ष्य पर ध्यान देते हैं. 18 साल के अर्चिस्मान नंदी भी उन्हीं में से एक हैं. दरअसल, इसी साल 26 जनवरी को हावड़ा के अंकुरहाटी के पास तीन लोगों का एक परिवार गंभीर सड़क हादसे का शिकार हो गया था. वो तो गनीमत रही कि तीनों की जान बच गई. इसमें अर्चिस्मान भी शामिल थे, जो अपने माता-पिता के साथ जेईई मेन सेशन 1 की परीक्षा देने कोलकाता जा रहे थे.
इस हादसे के 3 दिन बाद ही अर्चिस्मान की परीक्षा थी. आमतौर पर ऐसे हादसों से बच्चे घबरा जाते हैं, लेकिन अर्चिस्मान घबराए नहीं बल्कि 29 जनवरी को उन्होंने शांत दिमाग से परीक्षा दी और जब रिजल्ट आया तो वो चौंका देने वाला था. अर्चिस्मान ने 99.98757 पर्सेंटाइल हासिल किए थे. इससे यह साबित होता है कि वो गंभीर हादसा भी उन्हें उनके लक्ष्य से भटका नहीं सका और दिलचस्प बात तो ये है कि जेईई मेन सेशन 2 की परीक्षा में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है. वह 100 पर्सेंटाइल हासिल कर जेईई मेन 2025 टॉपर्स की लिस्ट में शामिल हो गए हैं.
मैथ्स और फिजिक्स से प्यार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अर्चिस्मान ने बताया कि उन्हें मैथ्स और फिजिक्स से हमेशा से प्यार रहा है. वो आईआईटी से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग करना चाहते हैं और बीटेक पूरा होने के बाद वह रिसर्च भी करना चाहते हैं और जाहिर है ये सब जेईई परीक्षा पर निर्भर है. इसलिए उन्होंने जेईई मेन परीक्षा दी. उन्हें 300 में 290 अंक आने आने की उम्मीद थी, लेकिन जब रिजल्ट आया तो उन्हें 295 अंक मिले थे. वह कहते हैं कि वह अपने रिजल्ट से बहुत खुश हैं.
खेल से है लगाव
अर्चिस्मान बताते हैं कि पढ़ाई के अलावा उन्हें खेल से बहुत लगाव है. उन्हें फुटबॉल, क्रिकेट और बैडमिंटन खेलना पसंद है. उन्होंने बताया कि वो हर दिन दोपहर में स्थानीय बच्चों के साथ एक से डेढ़ घंटे तक खेलते हैं. इसके अलावा उन्हें कविताएं पढ़ना और लिखना भी पसंद है. भारतीय साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर उनके पसंदीदा कवि हैं.
साइंटिस्ट बनना चाहते हैं अर्चिस्मान
अर्चिस्मान ने आगे बताया ‘आईआईटी मुंबई में पढ़ना हर छात्र का सपना होता है, लेकिन चूंकि मेरे दादा आईआईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र हैं, इसलिए मैं आईआईटी खड़गपुर में ही पढ़ना चाहता हूं. उन्होंने मुझे बहुत प्रेरित किया. मैं साइंटिस्ट बनना चाहता हूं’.
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