
सर्वाइकल कैंसर के कारण और इसके मुख्य लक्षण जानिए
Image Credit source: TEERASAK AINKEAW / 500px Plus/Getty Images
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में चौथा सबसे सामान्य कैंसर है और इसकी वजह से होने वाली मौतें आज भी वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में दुनियाभर में करीब 6,60,000 नए केस सामने आए, जिनमें से 3,50,000 महिलाओं की मौत हो गई. इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बीमारी कितनी गंभीर है और इसके लिए समय रहते जागरूकता, स्क्रीनिंग और टीकाकरण कितना जरूरी है.
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी एक घातक बीमारी है, जो यूटरस के निचले हिस्से यानी सर्विक्स में होता है. यह वह हिस्सा होता है जो यूटरस को योनि से जोड़ता है. यह कैंसर तब होता है जब सर्विक्स के सेल्स असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं. यह कैंसर विशेष रूप से महिलाओं को प्रभावित करता है और समय पर जांच व इलाज न मिलने पर जानलेवा साबित हो सकता है.
किन कारणों से होता है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर होने के कई कारण हो सकते हैं. इसमें ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) संक्रमण सबसे सामान्य कारण है. HPV एक सामान्य वायरस है जो इंटरकोर्स के जरिए फैलता है. इसके कुछ प्रकार सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकते हैं. इसके अलावा बार-बार पार्टनर बदलना या बिना सुरक्षा के इंटरकोर्स करना इसका खतरा बढ़ाता है. साथ ही, कम उम्र में इंटरकोर्स की शुरुआत भी जोखिम को बढ़ाता है क्योंकि शरीर पूरी तरह से तैयार नहीं होता है.
स्मोकिंग करने से भी इस कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है क्योंकि इससे इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और शरीर HPV से लड़ने में सक्षम नहीं रहता है.लंबे समय तक कांट्रासेप्टिव पिल्स लेने से सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
क्या हैं सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर में फैलती है और इसकी शुरुआत में आमतौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं. इसी वजह से इसे “साइलेंट किलर” भी कहा जाता है. लेकिन जैसे-जैसे ये कैंसर बढ़ता है, शरीर कुछ संकेत देने लगता है, जिन्हें पहचानना बेहद जरूरी है. जैसे कि अगर इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग हो रही है, तो ये सामान्य नहीं है. यह सर्विक्स के सेल्स में बदलाव का संकेत हो सकता है. सामान्य व्हाइट डिस्चार्ज में बदबू नहीं होती है. लेकिन अगर उसमें दुर्गंध हो, रंग गाढ़ा या पीला हो, या लगातार बना रहे, तो यह संक्रमण या कैंसर का इशारा हो सकता है.
साथ ही, कमर, पेट के निचले हिस्से या पैल्विक एरिया में लगातार बना रहने वाला दर्द, कैंसर के फैलने का संकेत हो सकता है. अगर यूरिनेशन के दौरान जलन या दर्द हो रहा है, या बार-बार पेशाब जाने की इच्छा हो रही है, तो यह सर्वाइकल एरिया में बदलाव की वजह से हो सकता है. इसके अलावा जब शरीर में खून की कमी होने लगती है, तो थकावट महसूस होती है. ये कैंसर के बढ़ने का परिणाम हो सकता है.
कैसे करें सर्वाइकल कैंसर से बचाव
HPV वैक्सीन
9 से 26 साल की उम्र में यह वैक्सीन लगवाना काफी प्रभावी माना गया है. यह शरीर को वायरस से लड़ने के लिए तैयार करता है.
पैप स्मीयर टेस्ट
यह एक स्क्रीनिंग टेस्ट है, जो शुरुआती स्टेज में कैंसर के संकेत पकड़ सकता है. 21 साल की उम्र से हर 3 साल में यह टेस्ट करवाना चाहिए.
सुरक्षित इंटरकोर्स
इंटरकोर्स करते दौरान कंडोम का उपयोग करें.
धूम्रपान से दूरी
यह सिर्फ सर्वाइकल कैंसर ही नहीं, बल्कि कई अन्य बीमारियों से भी बचाता है.
साफ-सफाई रखें
निजी अंगों की स्वच्छता बनाए रखें और संक्रमण से बचाव करें.
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