रायपुर. छत्तीसगढ़ की 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल किए जाने पर छिड़ी सियासत के बीच पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी गई एक चिट्ठी पर सवाल उठाए जा रहे हैं. दरअसल इस चिट्ठी में लिखा गया है कि 12 जातियों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने से छत्तीसगढ़ के साथ-साथ ओडिशा का जनजाति समुदाय बीजेपी के पक्ष में आएगा. कांग्रेस ने इस मामले पर बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि बीजेपी के लिए आदिवासी सिवाय वोट बैंक के कुछ नहीं है.
दरअसल, 18 अप्रैल 2022 को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने प्रधानमंत्री को एक पत्र प्रेषित किया था, जिसमें 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा था कि यह निर्णय लेने से छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा संभाग में भाजपा को राजनीतिक लाभ मिलेगा, इसके साथ ही ओडिशा में भी भाजपा को लाभ मिलेगा.
अब कांग्रेस सवाल उठा रही कि क्या सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए पत्र लिखा गया? यह भी कहा जा रहा कि आदिवासियों के हित और उनका सर्वांगीण विकास हो, उनको अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल करने से उनको केंद्र सरकार से जो लाभ मिलना चाहिए वह लाभ मिल सकेगा, जिससे वे वंचित थे. मनसा यह नहीं थी, मनसा तो सिर्फ राजनीतिक फसल काटने की थी, यह पत्र प्रमाणित करता है.
डॉ. रमन सिंह ने केंद्रीय मंत्री और झारखंड के वरिष्ठ आदिवासी नेता अर्जुन मुंडा को 17 जुलाई 2021 को एक पत्र प्रेषित किया था. उन्हें याद दिलाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और उनकी अध्यक्षता में 13 फरवरी 2019 को 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का मंत्रिपरिषद में निर्णय लिया जा चुका है, लेकिन आपके मंत्रालय द्वारा आदेश जारी नहीं किया गया है. आदेश जारी करवाने का कष्ट करें.
केंद्रीय मंत्री को लिखे पत्र पर भी सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने कहा है कि17 जुलाई 2021 को डॉक्टर रमन सिंह ने अर्जुन मुंडा को पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने कहा है कि 2019 में केंद्रीय मंत्री परिषद ने निर्णय ले लिया है. जब केंद्रीय मंत्री परिषद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और उनकी अध्यक्षता में निर्णय ले चुकी थी तो फिर 14 सितंबर 2022 को पुनः निर्णय लेने की क्या आवश्यकता पड़ी, यह सोचने का विषय है कि आखिर सच्चाई क्या है…?
इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि इस पत्र में जिक्र किए गए तथ्यों से यह साफ हो रहा है कि बीजेपी के लिए आदिवासी सिवाय वोट बैंक के कुछ नहीं थे. छत्तीसगढ़ में बीजेपी के लिए आदिवासी राजनीतिक फायदा उठाने की एक कड़ी मात्र थे. आरपी सिंह ने कहा कि 18 अप्रैल 2022 को पूर्व मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी में यह कहा जा रहा है कि 12 जातियों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में सम्मिलित करने से छत्तीसगढ़ के बस्तर से सरगुजा तक और ओडिशा के जनजाति समुदाय बीजेपी के पक्ष में आएगा. डॉ. रमन सिंह की चिट्ठी यह साबित करती है कि आदिवासी बीजेपी की नजर में क्या है? जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मात्रात्मक त्रुटि की इस बरसों पुरानी समस्या को खत्म करने केंद्र सरकार से अनुरोध करते रहे. नतीजा आज केंद्र ने इन 12 जातियों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में सम्मिलित कर लिया है.