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धूल-राखड़ से लोगों का जीना हुआ मुश्किल : रोज दौड़ रही राखड़ से भरी सैकड़ों गाड़ियां, जिम्मेदार अफसर मौन

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Apr 4, 2025    150830 views     Online Now 167

अभिषेक सेमर, तखतपुर. इन दिनों बिलासपुर जिले के तखतपुर की तस्वीर तखतपुर की जगह धूलपुर नजर आ रही है, क्योंकि यहां के लोग धूल से बहुत परेशान हैं। यहां से रोजाना सैकड़ों की संख्या में गुजरने वाली बड़ी-बड़ी गाड़ियां राखड़ लेकर निकल रही है, जिसने तखतपुर के लोगों का जीना मुहाल करके रख दिया है। 1 मिनट के लिए भी यह सड़क सुनी नहीं पड़ती, क्योंकि लगातार गाड़ियों का कतार और दबाव रहता है। तखतपुर के लोगों ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर तखतपुर की खराब सड़कों को नए बनाने की मांग की है।

राखड़ से भरी गाड़ियों के गुजरने से एक तरफ दुर्घटनाएं लगातार बढ़ी है। वहीं दूसरी ओर धुल से लोग परेशान हैं। गाड़ी में राखड़ के ट्रांसपोर्टेशन से लोगों का जीना हराम हो गया है। आलम ये है कि लोग अच्छे कपड़े पहनकर घर से निकलते तो हैं लेकिन जैसे ही सड़कों पर पहुंचते हैं उनके कपड़ों पर धूल की एक गंदी मोटी परत जम जाती है. यही नहीं, धूल खाने के कारण लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है। तखतपुर के प्रतिष्ठित बर्तन दुकान के संचालक गजेंद्र गुप्ता, जिनकी उम्र करीब 32-35 वर्ष है, के गले की आवाज भी धूल के कारण खराब हो गई है। गजेंद्र गुप्ता के उदाहरण से यह साबित होता है कि कैसे लगातार धूल से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

जानकारों की माने तो इस रूट पर अचानक ट्रक के बड़े दबाव की वजह टोल टैक्स की चोरी और टोल का भाड़ा बचाने सहित दूरी कम करने के लिए इस रूट से ट्रांसपोर्टेशन किया जा रहा है दअरसल ये ट्रक सीपत से निकल जबलपुर जाएगी जिसके लिए भोजपुरी में वर्तमान बढ़े टोल के मुताबिक 100 रुपए के करीब टोल शुल्क है और प्रतिदीन इन ट्रकों की संख्या बढ़ती चली जा रहीं है। वर्तमान आंकड़े के मुताबिक लगभग 350 ट्रक परिचालित हो रही है। इस रूट में लभग 350 गाड़ियों का आना और 350 गाड़ियों का जाना लगभग 700 गाड़िया चल रही यदि इन 700 गाड़ियों का प्रतिदिन के हिसाब से एक महीने टोल शुल्क जोड़ा जाए तो लगभग 70 हजार रुपए होता है। सिर्फ टोल बचाने के लिए किया जा रहा है जिस सड़क पर ये गाड़िया दौड़ रही है वो इतनी हैवी गाड़ियों के लिए अधिकृत नहीं है।

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जिम्मेदार अधिकारी नहीं ले रहे सुध

जब जिम्मेदार अधिकारियों से कोई सुनवाई नहीं हो रही है, तो तखतपुर के जागरूक नागरिकों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया है। वे लगातार सोशल मीडिया पर इस समस्या को उजागर कर रहे हैं और शासन-प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह अभियान अब जन अभियान में बदलता जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इस मुद्दे को उठाने के लिए पोस्ट कर रहे हैं और अन्य नागरिकों से समर्थन मांग रहे हैं।

मनियारी पुल का जर्जर होना और बाईपास की समस्या

सड़क पर भारी वाहनों के परिचालन के कारण मनियारी पुल, जो कि बिलासपुर और मुंगेली जिले को जोड़ता है, अब कमजोर हो चुका है। इस पुल की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि हाईकोर्ट ने भी चिंता जताई है और सेतु विभाग से जवाब तलब किया है। इस पुल पर दबाव बढ़ता जा रहा है, और अब यह कभी भी टूट सकता है। वहीं, तखतपुर से होकर गुजरने वाली बड़ी गाड़ियों के लिए एक बाईपास सड़क बनाई गई थी, लेकिन उस सड़क की हालत भी बहुत खराब हो गई है। भारी वाहनों के दबाव के कारण बाईपास सड़क पर गड्ढे बन गए हैं, जिससे वाहन संचालन असंभव हो गया है। अब गाड़ियां फिर से नगर के भीतर से होकर गुजर रही हैं, और प्रशासन इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।

प्रशासन की उदासीनता और लोगों का आक्रोश

वहीं नगर के एक जागरूक युवा प्रफुल्ल तिवारी ने धूल और खराब सड़क के मुद्दों को लेकर काफी एक्टिव रहे ओर लगातार सोशल मीडिया में प्रशाशन को कटघरे में खड़े करते रहे है और लगातार सड़क में हैवी वाहन के परिचालन ओर ट्रक से उड़ने वाली धूल और राखड़ के विरोध में लगातार आवाज बुलंद करते रहे है और शासन प्रशासन व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग करते रहे हैं जब मांग पूरी नहीं हुई तो केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर तखतपुर की खराब सड़कों को नए बनाने की मांग की है। तखतपुर के लोग अब प्रशासन से तंग आ चुके हैं। उनका कहना है कि प्रशासन ने कभी इस समस्या का समाधान नहीं किया और अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या किसी की जान जाएगी, तब जाकर प्रशासन कार्रवाई करेगा।

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एनएच विभाग की खामोशी

नेशनल हाईवे विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। अधिकारियों की खामोशी ने लोगों के गुस्से को और बढ़ा दिया है। लोग अब यह सवाल उठाते हैं कि क्या अधिकारियों को सिर्फ अपने एसी दफ्तरों से बाहर निकल कर सड़क की मरम्मत और रख-रखाव करना बहुत मुश्किल लगता है? तखतपुर के लोग इन दिनों अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में धूल और राखड़ के कारण परेशान हैं। प्रशासन की उदासीनता और सड़क पर भारी वाहनों के परिचालन ने इस क्षेत्र की हालत खराब कर दी है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन कब तक इस मुद्दे को गंभीरता से लेता है और तखतपुरवासियों को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाता है।

50 गांव का मुख्य केंद्र है तखतपुर

इससे ना सिर्फ तखतपुर के लोग परेशान है बल्कि तखतपुर से लगे लगभग 50 गांवों की जीविका सीधे तौर पर जुड़ी हुई है। यहां से रोजाना करीब 50 गांवों के लोगों का खरीदारी और अन्य कामो को लेकर जुड़ा हुआ है। वे लोग यहां आते है तो मास्क पहन कर आते है या तो अपने चेहरे को गमछे से पूरा लपेट कर आते है। हालांकि लोग अब मजाक बनाने लगे है कि कही कोरोना तो दस्तक नहीं दी है कोरोना का दस्तक में तो अभी वक्त है। उससे पहले ये धूल कही इन स्थानियों, की दम घोट कर जान ना ले ले।

अंग्रेजों के जमाने के पुल ने टेके घुटने

लगातार हैवी वाहनों के परिचालन से सौ साल पुराने बने इस मनियारी पुल जो कि बिलासपुर जिला और मुंगेली जिले जो जोड़ती है। उस पुल के पिलर अब घुटने टेक रहे है लगातार हैवी वाहनों के दौड़ने से इन पिलहरो पर दबाव पड़ रहा है और ये पुल कमजोर हो चुका है। हालांकि हाइकोर्ट ने भी इस पुल के जर्जर और खराब होने की चिंता जाहिर की है और सेतु विभाग के उच्च अधिकारियों को 15 दिवस के भीतर हलफनामा प्रस्तुत करने सहित व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश दिए थे। लोगों के लिए बिलासपुर, मुंगेली, कवर्धा, जोड़ने का एक मुख्य सेतु के तौर पर मनियारी पुल जाना जाता है।

आखिर क्यों विकल्प साबित नहीं हो रहा है बाईपास सड़क

करोड़ो रूपए खर्च करके मोंढे मार्ग से भथरी होते हुवे बरेला बाई पास सड़क का निर्माण करवाया गया था कुछ समय तक इस सड़क को विकल्प के तौर पर शुरुवात किया गया था । व्यापारी संगठन लगातार मालवाहक गाड़ियों के ट्रांसपोर्ट को लेकर मांग करता रहा है कि हैवी गाड़ियों सुबह 8 बजे से लेकर रात 10 बजे तक प्रवेश ना करे क्योंकि नगर की सड़क सकरी होने कारण पर आवागमन ओर व्यापारी समेत अन्य लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ओर भरी वाहन के करना सड़क दुर्घटना भी होती है। मामले की गंभीरता को देखते हुवे जितने भी अधिकारी ओर जनप्रतिनिधि आए उनके द्वारा व्यापारी संघ की मांग को पूरा करते हुए बाईपास सड़क भी शुरू किया गया। लेकिन उस सड़क पर हैवी गाड़ी के कुछ महीने चलने कारण सड़क पर गढ्ढे हो गए और सड़क खराब भी हो गया। जिसके कारण सड़क खराब होने से अब उस सड़क से मुंह मोड़ लिए है और अपनी गाड़ियों को नगर में प्रवेश करा रहे है। हालांकि उनकी भी गलती नहीं मान रहे है लोग क्योंकि उन्हें भी परिचालन करनेव के लिए एक रस्ते की जरूरत है

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क्या कह रहे नगर के जागरूक युवा

वहीं नगर के एक जागरूक युवा प्रफुल्ल तिवारी ने धूल और खराब सड़क के मुद्दों को लेकर काफी एक्टिव रहे ओर लगातार सोशल मीडिया में प्रशाशन को कटघरे में खड़े करते रहे है और लगातार सड़क में हैवी वाहन के परिचालन ओर ट्रक से उड़ने वाली धूल और राखड़ के विरोध में लगातार आवाज बुलंद करते रहे है और शासन प्रशासन से व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग करते रहे हैं. जब मांग पूरी नहीं हुई तो केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर तखतपुर की खराब सड़कों को नए बनाने की मांग की है।

प्रशासन की उदासीनता का भेट चढ़ता तखतपुर

प्रशासन ना तो इस वैकल्पिक बाईपास का मरम्मत करा पा रहा है और ना ही भारी वाहन के नगर से होकर परिचालन को लगाम लगा पा रहा है। इससे लोगों का आक्रोश प्रशासन के प्रति लगातार बढ़ रहा है। अब तो लोग ये भी सवाल उठाने लगे हैं कि अब किसी की जान जाएगी तब भरी वाहनों के परिचालन पर रोक लगेगी क्या?

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