
गौतम अडानीImage Credit source: PTI
वैसे गौतम अडानी के लिए वित्त वर्ष 2025 कुछ अच्छा नहीं रहा है. बीते एक साल में ग्रुप के मार्केट कैप से 3.40 लाख करोड़ रुपए कम हो गए हैं. लेकिन बीते 15 दिनों में ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयरों में अच्छी तेजी देखने को मिली है. खास बात तो ये है कि ग्रुप के मार्केट कैप में बीते 15 दिनों में 40 हजार करोड़ रुपए का इजाफा देखने को मिला है. अगर बात गुरुवार की बात करें तो अडानी एंटरप्राइजेज को छोड़कर ग्रुप के सभी शेयरों में तेजी देखने को मिली. गुरुवार को हुरुन की रिपोर्ट आई है, जिसमें कहा गया है कि एक साल में अडानी की नेटवर्थ में 13 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है.
दौलत में एक लाख करोड़ का इजाफा
हुरुन की रिपोर्ट के अनुसार अडानी की नेटवर्थ में करीब 1 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी देखने को मिला है. उसके बाद वो मुकेश अंबानी से पीछे हैं. मुकेश अंबानी सिर्फ भारत ही नहीं एशिया के भी सबसे अमीर कारोबारी हैं. हालांकि, आरआईएल के शेयरों में गिरावट की वजह से मुकेश अंबानी को काफी दौलत गंवानी पड़ी और वह दुनिया के टॉप 10 अरबपतियों की लिस्ट से बाहर हो गए. गौतम अडानी की संपत्ति में 2024 में 13% की वृद्धि हुई, जिससे वे भारत में शीर्ष तीन में शामिल हो गए. अडानी की दौलत में ऐसे समय पर उछाल देखने को मिला है, जब ग्रुप के शेयरों में वित्त वर्ष 2025 में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में अडानी के शेयरों का ज्वाइंट मार्केट कैप 21 फीसदी या 3.4 लाख करोड़ रुपए घटा है.
क्यों आई शेयरों में तेजी
गुरुवार को, अडानी ग्रुप के अधिकांश शेयरों में तेजी की बड़ी वजह ये है कि गौतम अडानी दिवालियेपन प्रोसेस के माध्यम से जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) में गहरी रुचि दिखा रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी ग्रुप ने दिवालिया हो चुकी जेएएल का अधिग्रहण करने के लिए रुचि पत्र (ईओआई) दाखिल किया है. अगर ये बात सच होती है तो गौतम अडानी के रियलटी कंपनी का पोर्टफोलियो और मार्केट साइज काफी बड़ा हो जाएगा. साथ ही अडानी की रियलटी का फर्म पकड़ दिल्ली एनसीआर में काफी मजबूत हो जाएगी.
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कुछ सालों में उठे हैं काफी सवाल
पिछले कुछ वर्षों में, अडानी ग्रुप को फाइनेंशियल फ्रॉड से लेकर स्टॉक हेरफेर तक कई विवादों का सामना करना पड़ा है. रिपोर्टों में आरोप लगाया गया है कि अडानी ने रेवेन्यू बढ़ाने और स्टॉक की कीमतों में हेरफेर करने के लिए टैक्स हेवन में कंपनियों का इस्तेमाल किया. समूह ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है. इसके अतिरिक्त, अमेरिकी न्याय विभाग और प्रतिभूति और विनिमय आयोग अडानी के अमेरिकी निवेशकों के साथ कंयूनिकेशन की जांच कर रहे हैं, जिससे ग्रुप के इंटरनेशनल ऑपरेशन और भी जटिल हो गए हैं. इन विवादों के कारण अडानी के शेयरों में काफी उतार-चढ़ाव आया है और भारत में कॉर्पोरेट एडमिन और नियामक निगरानी के बारे में व्यापक सवाल उठे हैं.
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