• Thu. Jul 3rd, 2025

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर, तत्काल सुनवाई की मांग

ByCreator

Mar 20, 2025    150844 views     Online Now 126
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर, तत्काल सुनवाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश के कासगंज की 11 साल की बच्ची के केस पर बीते दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद देश भर में सवाल खड़े हो रहे हैं. कई लोग कोर्ट के फैसले पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं, जिसमें कोर्ट ने स्तन पकड़ने और पायजामे का नारा खींचना बलात्कार नहीं बल्कि गंभीर यौन उत्पीड़न का अपराध माना है. अब इस मामले पर सर्वोच्च अदालत से तत्काल सुनवाई करने की मांग की गई है.

उत्तर प्रदेश के कासगंज की 11 साल की बच्ची के केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर दी गई है. सर्वोच्च अदालत से मामले पर तत्काल सुनवाई करने की मांग की है. हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए फैसले में लिखे गए पैरा नंबर 26 को विवादास्पद बताते हुए हटाने कि मांग की गई है.

पीआईएल में सुप्रीम कोर्ट को ऐसे मामलों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है, ताकि निचली अदालतें या हाईकोर्ट संवेदनशील भाषा का इस्तेमाल महिलाओं के मामले में करें. वकील प्रदीप यादव की तरफ से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से स्थितियों के मद्देनजर उचित आदेश जारी करने की मांग की गई.

ये भी पढ़ें

क्या है पूरा मामला?

यह घटना 2021 की है, जब कासगंज की एक अदालत ने दो आरोपियों, पवन और आकाश, को एक नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 और पोक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया था.

See also  Delhi Election 2025: AAP ने दिल्ली की वोटर लिस्ट में धांधलियों के पेश किए सबूत, कहा- 'BJP के मंत्री EC की आंखों में धूल झोंक रहे'

हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आरोपितों के खिलाफ धारा 354-बी आइपीसी ( निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के मामूली आरोप के साथ पोक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए.

ट्रायल कोर्ट ने इसे पाक्सो एक्ट के तहत बलात्कार के प्रयास और यौन उत्पीड़न का मामला मानते हुए समन आदेश जारी किया था. आरोपियों ने इस आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी, जिसमें यह तर्क दिया गया कि शिकायत के आधार पर यह मामला धारा 376 आईपीसी (बलात्कार) के तहत नहीं आता और यह केवल धारा 354 (बी) आईपीसी और पाक्सो अधिनियम के तहत ही आ सकता है, जिसे कोर्ट ने भी स्वीकार कर लिया है.

[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X

Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

You missed

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
NEWS VIRAL