कांग्रेस नेता शशि थरूर ने रूस-यूक्रेन जंग में भारत के रुख पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंनेस्वीकार किया कि युद्ध छिड़ने के समय भारत के रुख का विरोध करने पर उन्हें शर्मिंदगी ( Egg on his face) उठानी पड़ी थी. उन्होंने कहा कि जो नीति अपनाई गई, उसके कारण देश अब ऐसी स्थिति में है जहां वह स्थायी शांति के लिए बदलाव ला सकता है. थरूर ने रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के समय भारत के रुख की आलोचना की थी. उन्होंने हमले की निंदा करने की अपील की थी.
कांग्रेस सांसद ने क्या कहा?
दिल्ली में रायसीना डायलॉग में सत्र के दौरान पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने कहा, मैं अभी भी अपने चेहरे से अंडे हटा रहा हूं, क्योंकि संसदीय बहस में मैं एकमात्र व्यक्ति हूं, जिसने वास्तव में फरवरी 2022 में भारतीय रुख की आलोचना की थी. कांग्रेस सांसद ने कहा कि यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन हुआ है और हम हमेशा से अंतरराष्ट्रीय विवादों को निपटाने के लिए बल प्रयोग की अस्वीकार्यता के पक्ष में रहे हैं.
सत्र के दौरान शशि थरूर ने कहा कि उन सभी सिद्धांतों का उल्लंघन एक पार्टी द्वारा किया गया था और हमें इसकी निंदा करनी चाहिए थी. खैर, तीन साल बाद ऐसा लगता है कि मैं ही दोषी हूं क्योंकि स्पष्ट रूप से नीति का मतलब है कि भारत के पास वास्तव में एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो यूक्रेन के राष्ट्रपति और रूस के राष्ट्रपति दोनों को दो सप्ताह के अंतराल पर गले लगा सकता है और दोनों जगहों पर स्वीकार किया जा सकता है.
‘यूरोप से परे देखना होगा’
थरूर ने कहा कि इसलिए भारत ऐसी स्थिति में है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह स्थायी शांति स्थापित करने में ऐसे तरीके अपना सकता है जो बहुत कम देश कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि यूरोप से दूरी सहित कई कारकों के कारण भारत को लाभ मिलता है.
थरूर ने यह भी कहा कि यदि आवश्यक हुआ और रूस तथा यूक्रेन के बीच शांति पर सहमति बनी तो भारतीय पक्ष शांति सैनिक भेजने पर विचार करने को तैयार है. उन्होंने ये भी कहा कि शांति सैनिकों के लिए यूरोप से परे देखना होगा.
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