
बरसाना लट्ठमार होली
यूपी के बरसाने में आज विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली का आयोजन किया गया. होली खेलने के लिए नंदगांव के हुरियारे दोपहर दो बजे प्रिया कुंड पर पहुंचे , जहां बरसाना के लोगों ने उनका स्वागत किया. इस मौके पर उनके स्वागत में भांग की ठंडाई पिलाई गई. भांग की मस्ती में झूमते हुरियारे यहां अपनी पाग बांध कर खुद को लठामार होली के लिए तैयार किया.
हुरियारे यहां से सीधे लाडली जी मंदिर (राधारानी मंदिर) में पहुंचे। जहां बरसाना और नंदगांव के गोस्वामियों का संयुक्त समाज गायन किया. समाज गायन के दौरान दोनों पक्ष एक-दूसरे पर प्यार भरे कटाक्ष कर रहे थे. समाज गायन के उपरांत हुरियारे रंगीली गली में उतरे.रंगीली गली में हुरियारिनें हाथ में लाठियां लिए उनके स्वागत को तैयार मिली. लट्ठमार होली के दौरान हुरियारिनें नंदगांव के हुरियारों पर प्रेम पगी लाठियां बरसाई.
लठमार होली का रिश्ता
हुरियारे बड़ी कुशलता से खुद को बचाते हुए लाठी प्रहारों को अपनी ढालों पर झेल रहे थे. इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए हजारों-लाखों की भीड़ राधा रानी के धाम बरसाना में मौजूद थी. होली की बात हो और बरसाने का जिक्र न हो तो सब अधूरा ही रहता है. मथुरा के बरसाना में होने वाली लठमार होली का रिश्ता भी प्रेम से है. मान्यता है कि जब प्यार का रंग बिखरा था तभी लठमार होली की भी तब शुरुआत हुई थी.
राधा-कृष्ण के प्रेम का रंग
राधा-कृष्ण के प्रेम का रंग होली के त्योहार पर भी चढ़ गया और आज तक लठमार होली प्रेमपूर्वक मनाई जाती है. देश-विदेश के लोग हर साल होली के मौके पर खास लठमार होली के लिए बरसाना जाते हैं. इस विशेष होली में शामिल होकर एक-दूसरे को रंगों में रंगते हैं. यूं तो ब्रज में होली का महोत्सव डेढ़ माह से भी लंबे समय तक मनाया जाता है, क्योंकि ब्रज के हर तीर्थस्थल की अलग परंपरा है और होली मनाने का भी तरीका एक-दूसरे से अलग है.
महीनों पहले शुरू हो जाती हैं तैयारी
बरसाने और नंदगांव की लठमार होली की परंपरा इनको सबको अलग बनाती है. दोनों जगहों की गोपियां लाठियां बरसाने में थक न जाएं इसके लिए दूध-मेवा खाकर अपनी ताक बढ़ाती हैं. वहीं ग्वाले भी ढालों को दुरुस्त करने में जुट जाते हैं, जो जितनी अच्छी लाठी चला लेता है, उसे बाद में पुरस्कार भी दिया जाता है. लठामार होली में बरसाना की गोपियां नंदगांव से आए पुरुषों पर लाठियां बरसाकर होली खेलती हैं. नन्दगांव के हुरियारे (होली खेलने वाले) बरसाना की हुरियारिनों (होली खेलने वालियां) की लाठियों की मार अपने हाथों में ली हुई चमड़े की या धातु से बनीं ढालों पर झेलते हैं.
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