रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति लगातार असमंजस भरी नजर आ रही है. एक ओर वे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को खुलेआम आलोचना कर रहे हैं, तो दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर नए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी दे रहे हैं. ट्रंप के इस रुख ने अमेरिकी विदेश नीति को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा की कि वे रूस पर बड़े पैमाने पर बैंकिंग प्रतिबंध और व्यापार शुल्क लगाने पर विचार कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह कदम तब तक लागू रहेगा जब तक कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम और अंतिम शांति समझौता नहीं हो जाता. ट्रंप ने दोनों देशों को वार्ता की मेज पर आने की सलाह देते हुए कहा कि रूस यूक्रेन को बुरी तरह कुचल रहा है. जब तक युद्धविराम और अंतिम शांति समझौता नहीं होता, तब तक मैं रूस पर बड़े पैमाने पर बैंकिंग प्रतिबंध और टैरिफ लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहा हूं.
आखिर क्या चाहते हैं ट्रंप?
इस मामले में कई लोगों का कहना है कि ट्रंप की नजर यूक्रेन के मिनरल्स पर है. वो पूरी कोशिश कर रहे हैं कि जेलेंस्की को युद्धविराम की डील के सहारे उनके मिनरल्स पर कब्जा कर सकें. हालांकि दोनों नेताओं की बीती मुलाकात कैसे एक बहस में बदल गई ये पूरी दुनिया ने देखा. इतिहास पहली बार व्हाइट हाउस में इस तरह मीडिया के सामने कोई बहस हुई होगी. इसके बाद दोनों नेताओं में तनातनी हो गई थी. ऐसे में ट्रंप कंफ्यूज हैं कि वो व्हाइट हाउस की साख बचाने के लिए जेलेंस्की को उनके हाल में ही छोड़ दें या फिर यूक्रेन में शांति स्थापित कर देश के मिनरल्स पर अपना हक जमाए.
यूक्रेन को लेकर ट्रंप की दोहरी नीति
ट्रंप के इस बयान से कुछ ही दिनों पहले उन्होंने यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता रोकने का फैसला लिया था. इसके साथ ही, उन्होंने एक सार्वजनिक बैठक में जेलेंस्की पर अमेरिका की मदद के प्रति अहसान फरामोश होने का आरोप लगाया था. यह कदम कई पश्चिमी देशों के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि अमेरिका अब तक यूक्रेन का सबसे बड़ा सैन्य सहयोगी रहा है.
रूस के साथ ट्रंप की नजदीकियां
ट्रंप पहले भी रूस के प्रति नरम रुख अपनाने के आरोपों का सामना कर चुके हैं. हाल ही में उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी, जिससे यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि वे रूस पर पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने की कोशिश कर सकते हैं. इससे अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों के बीच मतभेद बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है.
अमेरिका का बदला हुआ रुख
संयुक्त राष्ट्र में हाल ही में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखते हुए युद्ध समाप्त करने की अपील की गई थी. इस प्रस्ताव पर अमेरिका ने रूस के साथ मिलकर अपने यूरोपीय सहयोगियों के खिलाफ वोट किया. ट्रंप प्रशासन के इस कदम की अमेरिका के अंदर और बाहर आलोचना हो रही है, क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि ट्रंप की प्राथमिकताएं अब बदल रही हैं. अब देखना होगा कि ट्रंप अपने इस असमंजस से कब बाहर आते हैं और क्या उनकी नीतियां रूस-यूक्रेन युद्ध में कोई नया मोड़ ला पाएंगी.
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