
भगवान शिव
क्या आप जानते हैं कि विदेशियों का सबसे पसंदीदा हिंदू भगवान शिव यानी महादेव क्यों हैं? महाशिवरात्रि के मौके पर जहां भारत के सभी शिवालय में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी है. वहीं दुनिया के कई देशों में शिव की पूजा अराधना की जा रही है. पाकिस्तान के भी कई शिव मंदिरों में महाशिवरात्री का पर्व धूम-धाम से मनाया जा रहा है.
महादेव सबसे पसंदीदा भगवान
प्यू रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी किया था, जिसमें कहा गया कि 44 प्रतिशत भारतीय हिंदू भगवान शिव को सबसे ज्यादा मानते हैं. हिंदू माइथोलॉजी के मुताबिक श्रृष्टि की रचना भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी शिव ने किया था. ब्रह्मा पर श्रृष्टि निर्माण तो विष्णु पर संचालन का जिम्मा है.
महेश पर श्रृष्टि के कल्याण की जिम्मेदारी है. कहा जाता है कि समुंदर मंथन के बाद जो विष निकला, उसे शिव ने खुद पी लिया. इसी वजह से उन्हें निलकंठ भी कहते हैं.
हिंदू धर्म मे 4 वेदों की मान्यता है. इन वेदों में शिव के बाबत 39 ऋचाएं और 75 दूसरे सन्दर्भ मिलते हैं. भारत में भगवान शिव के 12 मान्य ज्योतिर्लिंग हैं. वहीं शैव संप्रदाय को मजबूत करने के लिए 4 शंकराचार्य पीठ भी बनाया गया है.
विदेशियों के प्रिय क्यों हैं शिव?
हिंदू धर्म में 14 कोटी देवता हैं और सबको पूजा जाता है, लेकिन विदेशियों का सबसे प्रिय भगवान शिव ही है. भारत में करीब हर साल 60-70 लाख विदेशी धार्मिक यात्रा पर आते हैं. इनमें अधिकांश वाराणसी के काशी और तमिलनाडु के तिरुअन्नामलाई जाते हैं. दोनों ही शहर भगवान शिव को लेकर मशहूर है.
विदेशी नागरिकों को भगवान शिव क्यों पसंद हैं, इसे 4 प्वॉइंट्स में विस्तार से समझते हैं…
1. भगवान शिव को हिंदू धर्म में गुट निरपेक्ष माना जाता है. सुर और असुर दोनों का उनमें विश्वास है. शिव अपने बारात में सभी को लेकर गए थे. राम और रावण दोनों उनके उपासक हैं. दोनों गुटों पर उनकी समान कृपा है. शिव में छल नहीं है. न ही वे किसी को नुकसान पहुंचाते हैं. इन्हीं सब कहानियों की वजह से अधिकांश विदेशियों शिव की तरफ आकर्षित होते हैं.
2. शिव का कोई रूप नहीं है. उनके पूजा को लेकर भी कोई सख्ती नहीं है. ऊपर से शिव अराधना एक तरफ से मेडिटेशन का ही रूप है. विदेशी आराम से शिव पूजा में एडजस्ट हो जाते हैं. प्रिय होने की एक वजह यह भी है.
3. शिव दक्षिण से लेकर उत्तर तक पूजे जाते हैं. उत्तर में उत्तुंग कैलाश से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम तक और सोमनाथ से लेकर अरुणाचल तक शिव एक जैसे पूजे जाते हैं. यानी शिव की मान्यता सभी जगह एक जैसी है. शिव को लेकर खूब प्रचार भी हुए. 1960 के दशक में तमिलनाडु में अरुणचाल शिवा की कहानी की गूंज पश्चिमी मीडिया में थी. तब से यहां हर साली विदेशी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ आती है.
4. विद्यापति के मुताबिक शिव तामझाम से दूर रहने वाले भगवान हैं. उनके पास एक बसहा (बैल) है. घर में भी शिव के पास कुछ ज्यादा नहीं है. शिव के रूप भी काफी डरावना है, जबकि असल तौर पर शिव का शरीर 15 कामदेव के बराबर है. विदेशियों को शिव की इस तरह की कहानी भी खूब दिलचस्पी है.
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