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भारत, चीन से अमेरिका तकजर्मनी में मर्ज की जीत से किस पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?

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Feb 24, 2025    150812 views     Online Now 245
भारत, चीन से अमेरिका तकजर्मनी में मर्ज की जीत से किस पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?

जर्मनी में क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन ने की जीत हासिल

जर्मनी में 23 फरवरी को हुए राज्य चुनावों में चांसलर ओलाफ शॉल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) को बड़ा झटका लगा, जबकि विपक्षी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) और उसके नेता फ्रेडरिक मर्ज को बड़ी जीत मिली. DW की एक खबर के मुताबिक सीडीयू/सीएसयू को 28.5 फीसदी वोट मिले, जो पिछली बार की तुलना में थोड़े ज्यादा हैं.

हालांकि, पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, जिससे उसे गठबंधन बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा. दूसरी ओर, धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को 20.6 फीसदी वोट मिले. यह अब तक का उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन है और पिछली बार से लगभग दोगुना मत प्रतिशत है. यह चुनावी नतीजे न केवल जर्मनी बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी असर डाल सकते हैं. भारत से लेकर अमेरिका और चीन तक, हर किसी के लिए इस चुनाव के मायने अलग-अलग हैं. आइए समझते हैं कि मर्ज की जीत का कौन-कौन से देशों पर कैसा असर पड़ेगा?

भारत के लिए क्यों फायदेमंद है मर्ज की जीत?

भारत और जर्मनी के संबंध पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं. भले ही फ्रेडरिक मर्ज सत्ता में न रहे हों, लेकिन भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर उनसे लगातार मुलाकात करते रहे. यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग की संभावनाएं गहरी हैं. जर्मनी भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है, और दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 26,067 करोड़ रुपये का है. ऐसे में मर्ज की सरकार बनने से भारत और जर्मनी के संबंध और प्रगाढ़ हो सकते हैं. जर्मनी की नई सरकार भारत के साथ रक्षा, टेक्नोलॉजी और व्यापार में सहयोग बढ़ा सकती है, जिससे भारत को सीधा फायदा हो सकता है.

अमेरिका के लिए झटका क्यों है?

अमेरिका की मौजूदा सरकार दक्षिणपंथी विचारधारा की AFD पार्टी के पक्ष में थी, लेकिन मर्ज की जीत से अमेरिकी रणनीति को झटका लगा है. खासकर, टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने AFD का खुलकर समर्थन किया था और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उनके नेताओं से मुलाकात भी की थी. लेकिन CDU की जीत से यह साफ हो गया कि जर्मनी की जनता ने दक्षिणपंथी दलों को नकार दिया है. इस चुनावी नतीजे से अमेरिका की यूरोप नीति पर असर पड़ सकता है, क्योंकि अब वाशिंगटन को बर्लिन में एक नई लीडरशिप के साथ सामंजस्य बैठाना होगा.

यूक्रेन को क्यों मिलेगा फायदा?

यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के दौरान जर्मनी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है. अब जबकि फ्रेडरिक मर्ज की सरकार सत्ता में आ रही है, यह यूक्रेन के लिए एक अच्छी खबर हो सकती है. CDU एक ऐसी पार्टी है जो रूस के खिलाफ सख्त नीतियां अपनाने के पक्ष में रही है. इससे यूक्रेन को यूरोप में एक और मजबूत मददगार मिल सकता है, जो रूस पर और अधिक दबाव डालने के लिए पश्चिमी देशों को एकजुट कर सकता है.

चीन के लिए पहले जैसा ही मामला क्यों रहेगा?

चीन के लिए जर्मनी की यह राजनीतिक स्थिति ज्यादा कुछ नहीं बदलेगी. चीन और जर्मनी के बीच व्यापारिक संबंध बहुत गहरे हैं, और CDU की सरकार भी इन संबंधों को बनाए रखने की इच्छुक होगी. हालांकि, चीन को जर्मनी से उतना फायदा नहीं होगा जितना उसे SPD सरकार के तहत मिल रहा था, लेकिन बड़े स्तर पर कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा.

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