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पॉलिटिकल COVID से लोकतंत्र पर खतरा, USAID वाले खुलासे पर उपराष्ट्रपति धनखड़ का बड़ा बयान

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Feb 21, 2025    150817 views     Online Now 210
पॉलिटिकल COVID से लोकतंत्र पर खतरा, USAID वाले खुलासे पर उपराष्ट्रपति धनखड़ का बड़ा बयान

जगदीप धनखड़. (फाइल फोटो)

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिन लोगों ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर इस तरह के हमले की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी ताकतों पर प्रहार करना लोगों का राष्ट्रीय कर्तव्य है.

अमेरिका के मियामी में गुरुवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत में मतदान में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए यूएसएड द्वारा दी गई 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता पर सवाल उठाया और कहा कि मुझे लगता है कि वे किसी और को निर्वाचित कराने का प्रयास कर रहे थे.

राजनीतिक कोविड ने की घुसपैठ

उपराष्ट्रपति निवास में शनिवार को 5वें आरएस इंटर्नशिप कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि समय आ गया है कि हम पूरी तरह से इस बीमारी की जांच करें. हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए हमारे समाज में इस राजनीतिक कोविड ने घुसपैठ की है. इस भयावह गतिविधि में शामिल सभी लोगों को पूरी तरह से बेनकाब किया जाना चाहिए.

लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश

उन्होंने यहां तक कहा कि चुनाव करना केवल भारतीय लोगों का अधिकार है. कोई भी उस प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर रहा है तो, वह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है. इससे हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है.

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संवैधानिक पदाधिकारियों का उपहास

धनखड़ ने कहा कि हमारे संस्थान कलंक का सामना कर रहे हैं, जो कि अंधविश्वास का एक पहलू है. हमारे संवैधानिक पदाधिकारियों का उपहास उड़ाया जाता है. चाहे वह राष्ट्रपति हों, उपराष्ट्रपति हों, या प्रधानमंत्री. ये राजनीतिक पद नहीं हैं, ये हमारी संस्थाएं है. इनको लेकर लोग न्यूनतम सम्मान भी दिखाने में विफल रहते हैं.

राष्ट्रपति की अपमान

उन्होंने कहा कि जब देश की राष्ट्रपति जैसे उच्च पद पर आसीन होने वाली पहली आदिवासी महिला को शर्मिंदा किया जाता है, उपहास किया जाता है, तो मेरा दिल दुखता है. यहां तक कि जब वह संसद के संयुक्त सत्र में अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाती हैं, तो उनका उपहास किया जाता है. जबकि उनका एक विधायक, मंत्री, राज्यपाल के रूप में और अब भारत की राष्ट्रपति के रूप में एक समर्पित सेवा का ट्रैक रिकॉर्ड है.

उपराष्ट्रपति ने बताया अपना दर्द

उपराष्ट्रपति ने कहा कि छह दशकों के बाद पहली बार कोई प्रधानमंत्री तीसरे कार्यकाल के लिए पद पर बना रहेगा. मैं अपनी स्थिति पर नहीं आऊंगा लेकिन दर्द के कुछ अविस्मरणीय क्षण होते हैं, जब संसद के पवित्र परिसर में एक जिम्मेदार राजनीतिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा नकल की वीडियोग्राफी की जाती है. कभी-कभी हम इसको नजरअंदाज कर सकते हैं लेकिन हम कभी भूल नहीं सकते, हम उन्हें माफ कर देते हैं, यही हमारी संस्कृति है.

बड़ी चुनौती का सामना कर रहा देश

अवैध अप्रवास पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि देश एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है क्योंकि हमारे बीच लाखों अवैध प्रवासी हैं. जो हमारे लोगों को कार्य शिक्षा सुविधाओं, स्वास्थ्य सुविधाओं, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना जैसी सरकारी सुविधाओं से वंचित कर रहे हैं. ये घुसपैठ आक्रमण से कम नहीं है. इस वक्त पूरी दुनिया इसे लेकर गंभीर हो गई है.

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विदेश जाने का लालच

उन्होंने कहा कि हमारी नींद तब खुली, जब किसी देश के कानून के तहत हमारे ही कुछ लोग जिनके साथ धोखा हुआ था, जिन्हें गलत तरीकों से विदेश जाने का लालच दिया गया था, उनको वापस यहां लाया जाता हैं. लेकिन हम अपने पैरों के नीचे की जमीन पर नजर नहीं डालते. हम रेत पर हैं. यह बम आपके लिए टिक-टिक कर रहा है. यूरोप में ऐसी स्थितियां देखी जा रही हैं. कुछ देशों में ऐसे हालात देखने को मिल रहे हैं. हम शांत दिखते हैं लेकिन ये शांति किसी तूफान से पहले की है. आइए हम उस तूफान को रोकें. और यह तभी किया जा सकता है, जब लोग अपनी मानसिकता बदलेंगे.

हमारी सभ्यता 1200 साल पहले लहूलुहान

देश की सभ्यता पर आक्रमणकारियों के हमले पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता 1200 साल पहले लहूलुहान हो गई थी. नालन्दा फलफूल रहा था, समृद्ध हो रहा था, ज्ञान और बुद्धिमत्ता का केंद्र था. फिर लुटेरे और आक्रमणकारी आए, उन्होंने अत्यंत क्रूरता के साथ, बर्बरतापूर्वक हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता, हमारे धार्मिक स्थलों को नष्ट करने का प्रयास किया.

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