
राहुल गांधी और मायावती.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के दौरे पर है. गुरुवार को राहुल गांधी ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती अगर साथ होतीं तो परिणाम कुछ और होते. बीजेपी आज सत्ता में न होती. मैं चाहता था कि बसपा हमारे साथ मिलकर चुनाव लड़े, लेकिन पता नहीं मायावती क्यों ठीक से चुनाव नहीं लड़ रही हैं. इस पर पटलवार करते हुए मायावती ने कांग्रेस पर सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में कांग्रेस मजबूत है, वहां पर स्थिति क्या है और यूपी में कमजोर है तो बसपा को बरगलाने में लगी है. इस तरह राहुल गांधी और मायावती एक दूसरे के आमने-सामने हैं?
राहुल गांधी ने कहा कि बसपा साथ होती तो लोकसभा चुनाव के नतीजे अलग होते. राहुल गांधी की इस बात में कितना दम है और क्या वाकई 2024 के नतीजे अलग होते. इसके अलावा मायावती ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर बसपा का वोट ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन कांग्रेस का वोट ट्रांसफर नहीं होता. इस बात में कितना दम है और क्या वकायी गठबंधन से बसपा को कोई फायदा नहीं होता है? इस तरह के कई सवाल खड़े हो गए हैं, जिनके जवाब को तलाशने की कोशिश करेंगे?
राहुल ने क्या और मायावती ने क्या कहा?
राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मायावती के इंडिया गठबंधन में शामिल न होने को लेकर सवाल उठाया. राहुल गांधी ने कहा, मैं चाहता था कि मायावती लोकसभा चुनाव हमारे साथ मिलकर लड़ें, लेकिन वह हमारे साथ नहीं आईं. हमें काफी दुख हुआ. अगर तीनों पार्टियां ( कांग्रेस, सपा और बसपा) एकसाथ हो जातीं तो नतीजे कुछ और ही होता.’ उन्होंने कहा कि मायावती ठीक से चुनाव क्यों नहीं लड़ रही हैं? रायबरेली में छात्रों से बातचीत के दौरान एक छात्र ने काशीराम और मायावती के दलित वर्ग के उत्थान के लिए किए गए कामों के जिक्र के दौरान यह सवाल किया था, जिसके जवाब में राहुल गांधी ने यह बात कही थी.
राहुल के बयान पर मायावती ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. मायावती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी जिन राज्यों में मजबूत है या फिर जहां उनकी सरकारें हैं, वहां स्थिति क्या है? उन्होंने कहा कि ऐसे राज्यों में बीएसपी और उनके अनुयाइयों के साथ द्वेष और जातिवादी रवैया अपनाया जाता है. उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहां कांग्रेस कमजोर है, वहां बीएसपी से गठबंधन की बरगलाने वाली बातें करना, यह उस पार्टी का दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है.
मायावती ने कहा कि तमाम स्थितियों के बाद भी बसपा ने यूपी और अन्य राज्यों में जब भी कांग्रेस जैसी जातिवादी पार्टियों के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा है, तब हमारा बेस वोट उन्हें ट्रांसफर हुआ है, लेकिन ये पार्टियां अपना बेस वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं करा पाती हैं. ऐसे में बसपा को गठबंधन करने पर हमेशा ही घाटे में रहना पड़ा है.
जानें, मायावती के बात में कितना दम
बसपा ने अपने सियासी इतिहास में सिर्फ एक बार कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ी है. यह बात 1996 के विधानसभा चुनाव की है. 1995 में बीजेपी के मदद से मायावती यूपी की मुख्यमंत्री बनी थी, लेकिन छह महीने के बाद सरकार गिर गई. इसक चलते यूपी में साल 1996 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में बसपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. 1993 में सपा के साथ गठबंधन की तरह बसपा के लिए कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव चमत्कारी नहीं रहा, लेकिन बसपा के वोटों में जबरदस्त इजाफा हुआ.
1996 में बसपा 300 सीटों पर लड़कर 67 और कांग्रेस 125 सीटों पर लड़कर 33 सीटें जीतने में सफल रही थी. 1993 में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर बसपा को 11.12 फीसदी वोट शेयर के साथ 67 सीटें मिली थी, उससे पहले 1991 बसपा का वोट 10.26 फीसदी वोट के साथ 12 सीटें मिली थी. इस तरह सपा को 55 सीट का फायदा 1993 में मिला. 1996 में कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ने पर बसपा की सीटें 67 ही रही, लेकिन पार्टी का वोट शेयर 19.64 फीसदी पर पहुंच गया. इस तरह करीब 8 फीसदी वोटों का फायदा बसपा को मिला था.
वहीं, कांग्रेस की सीटें जरूर बढ़ी, लेकिन वोट शेयर गिर गया. 1993 में कांग्रेस 28 सीटें जीती थी, लेकिन बसपा के साथ मिलकर लड़ने पर उसकी सीटें 1996 में 33 हो गई और वोट शेयर घिरकर 8.35 फीसदी पर आ गया. इसके बावजूदग विधानसभा चुनाव के बाद बसपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ लिया था. ऐसे में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का फायदा तो बसपा को मिला. इतना ही नहीं बसपा ने सपा के साथ मिलकर यूपी में 1993 में विधानसभा चुनाव लड़ा और 1996 के लोकसभा चुनाव चुनाव लड़ा. दोनों ही बार बसपा को फायदा मिला. हां, एक बात जरूर रही है कि बसपा को वोटबैंक जिस तरह से गठबंधन के सहयोगी के पक्ष में वोटिंग किया, उस तरह सहयोगी दल के कोर वोटबैंक ने जरूर साथ नहीं दिया.
क्या वकाई राहुल गांधी के बात में दम है?
राहुल गांधी ने कहा कि मायावती अगर 2024 में हमारी साथ होती तो बीजेपी सत्ता में नहीं होती. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा ने इंडिया गठबंधन के तहत मिलकर चुनाव लड़े थे, लेकिन मायावती ने अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी. इसमें कोई संदेह नहीं है कि बसपा अगर साथ होती देश की सियासी तस्वीर दूसरी होती. यूपी में बसपा का खाता भले ही नहीं खुला, लेकिन उसे 9.39 फीसदी वोट मिले थे. यूपी में अगर बसपा, सपा और कांग्रेस एक साथ होती तो बीजेपी के लिए दहाई के अंक में सीटें लाना मुश्किल हो जाता
यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से सपा 37, कांग्रेस 6, बीजेपी 33 सीटें, 2 सीटें आरएलडी, एक सीट अपना दल और एक सीट आजाद समाज पार्टी जीती है. सपा और कांग्रेस ने 43 सीटें जीती थी. बसपा अगर साथ होती तो इंडिया गठबंधन को 14 सीटों और मिल जाती. इन 14 सीटों पर बीजेपी उतने ही वोट से जीती है, उससे ज्यादा वोट बसपा को मिले हैं. बीजेपी अमरोहा, मेरठ, अलीगढ़, फतेहपुरी सीकरी, शाहजहांपुर, मिश्रिख, हरदोई, उन्नाव, फर्रुखाबाद, फूलपुर, भदोही, डुमरियागंज, देवरिया, बांसगांव जीती है. इन सीटों पर बसपा अपना अच्छा खासा वोट बैंक बचाने में सफल रही, जिसकी वजह से बीजेपी मामूली वोटों से ही सही लेकिन वह इंडिया गठबंधन पर भारी पड़ी.
2024 में बीजेपी को नहीं मिला बहुमत
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 240 सीटें मिली थी जबकि उसके सहयोगी दलों को मिलाकर 293 सीटें पाई थी. बीजेपी दस साल में पहली बार बहुमत का नंबर नहीं छू पाई थी और सहयोगी दलों के बैसाखी के सहारे सरकार बनानी पड़ी है. बसपा 2024 में इंडिया गठबंधन के साथ होती तो यूपी में इंडिया गठबंधन की सीटों में जबरदस्त फायदा होता. बसपा के अकेले चुनाव लड़ने से बीजेपी को जिन 14 सीटों पर फायदा हुआ है, उन सीटों पर फिर इंडिया गठबंधन जीत का परचम फहराने में कामयाब रहती. इस तरह से 80 में 66 सीटें इंडिया गठबंधन जीत सकती थी और एनडीए को सिर्फ 19 सीटों से संतोष करना पड़ता. ऐसे में बीजेपी की 240 से घटकर 226 पर आ जाती.
बसपा के इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने पर सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे सूबे में भी सियासी प्रभाव पढ़ता. बसपा का सियासी आधार सिर्फ यूपी में ही नहीं है बल्कि देश के कई राज्यों में है. मायावती के साथ होने पर दलित वोटों में उसका अलग ही प्रभाव पढ़ता, क्योंकि इंडिया गठबंधन में दलित प्रतिनिधित्व के रूप में सिर्फ मल्लिकार्जुन खरगे ही थे. मायावती के साथ होने पर संविधान पर खतरे और आरक्षण खत्म होने वाला नैरेटिव की इम्पैक्ट अलग ही पड़ता. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को देशभर में 240 सीटें और 36.56 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस को 99 सीटें और 21 फीसदी वोट मिले थे.
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