
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (विशेष प्रावधानों, Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991) से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई टल गई है. अब यह सुनवाई अगले महीने मार्च में होगी. सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा मामला तीन जजों की बेंच सुन रही है, जबकि आज 2 जजों की बेंच बैठी है. लिहाजा मार्च में सुनवाई होगी.
इससे पहले कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने मेंशन कर सुनवाई की मांग की. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि आज प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ और पक्ष में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई होगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमें सुनवाई के लिए (प्रश्न तय करने के लिए भी) मार्च की तारीख देनी होगी.
दिसंबर 2024 में हुई थी आखिरी सुनवाई
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही है. इससे पहले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने आखिरी बार 12 दिसंबर 2024 को सुनवाई की थी.
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यह कानून किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक स्वरूप में किसी भी तरह के बदलाव पर रोक लगाता है. साथ ही किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप को 15 अगस्त 1947 के समय बनाए रखने की बात करता है.
किन-किन लोगों ने लगाई याचिका
सुनवाई के दौरान वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि क्या नए हस्तक्षेप की अनुमति दी जा सकती है? सीजेआई खन्ना ने कहा कि इन्हें दायर करने की एक सीमा है, कई याचिकाएं आ रही हैं, हम देखेंगे. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि मामला 3 जजों की बेंच सुन रही है, और आज 2 जजों की बेंच बैठी है. लिहाजा मार्च में सुनवाई होगी.
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय, विश्वभद्र पुजारी, पुरोहित महासंघ, डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी, करुणेश कुमार शुक्ला, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर, रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर अनिल कबोत्रा और अनिल त्रिपाठी ने दायर कर रखी है.
जबकि इस एक्ट के समर्थन में जमीयत उलमा- ए-हिंद, ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी, इंडियन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड,AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, सांसद इकरा चौधरी सहित कई अन्य की ओर से याचिकाएं दायर की गई हैं. दायर हस्तक्षेप याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता द्वारा प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने की मांग के परिणाम गंभीर और दूरगामी होंगे.
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