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तेली-कुर्मी, धोबी अधिकार…चुनाव में वक्त लेकिन पटना में शुरू हुआ रैलियों का रैला

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Feb 15, 2025    150833 views     Online Now 446
तेली-कुर्मी, धोबी अधिकार...चुनाव में वक्त लेकिन पटना में शुरू हुआ रैलियों का रैला

तेजस्वी यादव

बिहार में इस साल विधानसभा का चुनाव होना है. हालांकि, अभी इसमें कुछ महीने का समय बचा हुआ है. चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दलों की कवायद शुरू हो गयी है. सभी राजनीतिक दल उन वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने में जुट गए हैं, जो उनके लिए चुनाव में मत दे सकते हैं. आलम यह है कि बिहार में रैलियों का रैला शुरू हो गया है.

पहले तेली और धोबी अधिकार रैली, अब अन्य रैलियां

कुछ दिन पहले ही राजधानी के मिलर स्कूल मैदान में तेली जाति को इकट्ठा करने के लिए तेली हुंकार रैली का आयोजन किया गया था. हालांकि, इसे एक सामाजिक रैली का नाम दिया गया था. साथ ही यह भी कहा गया था कि इसका राजनीति से कोई खास लेना देना नहीं है. लेकिन, इसमें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव शामिल हुए और उन्होंने एक के बाद एक कई वादे भी कर दिए. तेजस्वी यादव ने कहा कि तेली समाज हमारा साथ देगा. आप लोगों को आगे बढ़ाने की चिंता हम करेंगे.

विकसित बिहार बनाने के लिए सबको साथ लेकर चलेंगे. तेजस्वी यादव ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव के द्वारा तेली समाज के उत्थान के लिए किए गए कामों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. खास बात यह कि इस रैली की अध्यक्षता बिहार तैलिक साहू सभा के अध्यक्ष रणवीर साहू ने की. रणविजय साहू राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रधान महासचिव होने के साथ-साथ पार्टी के विधायक भी हैं.

धोबी अधिकार रैली

Dhobi Adhikar Railly

इसी प्रकार राजधानी में बीती नौ फरवरी को धोबी अधिकार रैली का भी आयोजन हो चुका है. इस रैली के भी माध्यम से धोबी समाज को अपने अधिकार के प्रति जागरूक करने की कोशिश की गई. इस रैली को भी इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है.

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कुर्मी एकता रैली

तेली रैली और धोबी अधिकार रैली अभी खत्म ही हुई थी कि अब राजधानी का मिलर स्कूल का मैदान फिर एक रैली का गवाह बनने जा रहा है. दरअसल, अब इस मैदान में एक रैली का आयोजन आगामी 19 फरवरी को किया जाएगा. इसे कुर्मी एकता रैली का नाम दिया गया है. खास बात यह कि इस रैली में छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती का भी जिक्र किया गया है.

Kurmi Ekta Railly

संभवत: बिहार की राजनीति में यह पहला मौका है, जब छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम किसी रैली में लिया गया है. इस रैली को लेकर के राजधानी में जो पोस्टर लगाए गए हैं, उनमें छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ ही सीएम नीतीश कुमार, सरदार वल्लभभाई पटेल के अलावा अन्य लोगों की तस्वीरें हैं. इस रैली के पोस्टर को प्रदेश जदयू कार्यालय के मेन गेट पर तो लगाया ही गया है, राजधानी में कई जगह पर इसके पोस्टर लगाए गए हैं.

हम पार्टी करेगी दलित समागम

राज्य और केंद्र सरकार में एनडीए की सहयोगी घटक दल हिंदुस्तानी एवं मोर्चा यानी हम पार्टी ने भी इसी माह में समागम करने का फैसला किया है. इसका आयोजन राजधानी के गांधी मैदान में किया जाएगा. इस रैली को सफल बनाने के लिए पार्टी की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है. पार्टी का मानना है कि इस दलित समागम में पूरे राज्य के कोने-कोने से हम पार्टी के समर्थक हिस्सा लेंगे.

नागमणि भी कर रहें रैली

बिहार लेनिन के नाम से प्रसिद्ध शहीद जगदेव प्रसाद के बेटे और अटल सरकार में मंत्री रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि भी रैली की तैयारी में है. नागमणि कोइरी आक्रोश रैली के नाम से रैली करेंगे. उनका दावा है कि इस रैली में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल होंगे. इस रैली का आयोजन राजधानी के गांधी मैदान में इसी महीने 23 तारीख को किया जाएगा. नागमणि लंबे समय तक किसी भी राजनीतिक दल में नहीं रहे हैं.

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नागमणि जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय जनता पार्टी, एकीकृत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अलावा तमाम राजनीतिक दलों में रह चुके हैं. नागमणि की पार्टी भी न तो महागठबंधन का हिस्सा है और न ही वह एनडीए में हैं. हालांकि, नागमणि की पूरी कोशिश बिहार की राजनीति के साथ-साथ इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी राजनीतिक उपस्थिति को दिखाने की है. नागमणि कोइरी समाज के नाम पर अपनी रैली को कर रहे हैं. वह इस रैली के माध्यम से कोई समाज को इकट्ठा करने की कोशिश में हैं.

पशुपति पारस की भी पार्टी पीछे नहीं

एक तरफ जहां महागठबंधन और एनडीए के घटक दल अपने-अपने स्तर पर रैली करने की तैयारी कर चुके हैं और इसकी घोषणा भी कर दिए हैं, वही पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने भी राजधानी में एक बड़ी रैली आयोजित करने की घोषणा कर दी है. पशुपति पारस न तो अभी आधिकारिक रूप से एनडीए का हिस्सा है न हीं वह महागठबंधन का हिस्सा हैं.

पशुपति पारस ने चंद रोज पहले ही इस बात की जानकारी दी थी कि आगामी 14 अप्रैल को वह पटना में एक बड़ी रैली करेंगे. 14 अप्रैल को भारत रत्न डॉक्टर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है. 14 अप्रैल के दिन पशुपति पारस के द्वारा रैली का आयोजन करने से करके पशुपति पारस दलितों में अपने संदेश को देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

रैली शक्ति प्रदर्शन का जरिया

वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव कुमार कहते हैं राजनीतिक दलों द्वारा रैली का आयोजन करना नयी बात नहीं हैं. रैलियों का आयोजन पहले भी होता रहा है. बिहार कई रैलियों का गवाह रहा है. पार्टी चाहे कोई भी हो, वह अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती है. चूंकि यह चुनावी वर्ष है. विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए चुनाव के पहले सभी राजनीतिक दल अपने समर्थकों के साथ दूसरे दलों को भी अपनी सांगठनिक मजबूती को दिखाने की कोशिश में लग गए हैं. अब इन सारी कवायद का मतदाताओं पर कितना असर पडेगा, यह तो उनके ऊपर निर्भर करता है.

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