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पैसों के लिए तरस रही है 2 गोल्ड जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी, पिता कमाते हैं बस 7 हजार रुपये

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Feb 14, 2025    150838 views     Online Now 166
पैसों के लिए तरस रही है 2 गोल्ड जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी, पिता कमाते हैं बस 7 हजार रुपये


आर्थिक तंगी से जूझ रही गोल्ड मेडलिस्ट (फोटो साभार- ज्योति याराजी इंस्टाग्राम)

25 साल की ज्योति याराजी को भारत की ‘हर्डल क्वीन’ के नाम से भी जाना जाता है. इस स्टार खिलाड़ी ने हाल ही में 38वें नेशनल गेम्स में अपने दूसरे गोल्ड मेडल पर कब्जा किया. उन्होंने फाइनल में 23.35 सेकंड के समय के साथ 200 मीटर दौड़ जीत ली. जबकि इससे पहले ज्योति ने 100 मीटर बाधा दौड़ में 13.10 सेकंड के साथ रिकॉर्ड कायम करते हुए गोल्ड जीता था. इससे पहले भी अपने खेल से ज्योति और कई रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. हालांकि इसके बावजूद इस स्टार खिलाड़ी और इसके परिवार को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. ज्योति चाहती है कि वो और उनका परिवार एक बेहतर जीवन जी सके. उनके पिता सिर्फ 7 हजार रुपये महीना कमाते हैं. आंध्रप्रदेश की रहने वाली ज्योति ने अपनी राज्य सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

माता-पिता को वो जीवन देना चाहती हूं…’

ज्योति का जन्म आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में 28 अगस्त 1999 को हुआ था. नेशनल गेम्स में तहलका मचाने के बाद ज्योति ने अपनी दुखभरी दास्तां सुनाई है. उन्होंने कहा है कि वो अपने माता-पिता को एक बेहतर जीवन देना चाहती हैं. उन्होंने मायखेल को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी मां को ये तक नहीं पता है कि एथलेटिक्स आखिर क्या होता है. वो कभी विजाग (विशाखापट्टनम) के बाहर भी नहीं गई है. ज्योति ने कहा कि मैं अपने पैरेंट्स को वो जीवन देना चाहती हूं जिसके वो हकदार हैं और इसके लिए मुझे सपोर्ट (सरकार से आर्थिक मदद) की जरूरत है.

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सरकार की अनदेखी और कम पुरस्कार राशि पर जताया अफसोस

ज्योति ने 2023 में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीता था. तब भी उन्हें आंध्रप्रदेश सरकार ने अन्य राज्य के मेडल विजेताओं के मुकाबले बहुत कम राशि दी थी. ज्योति ने इस पर भी निराशा जाहिर की है. उन्होंने असमानता पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि मुहे 20 लाख रुपये दिए गए गए. जबकि सिल्वर मेडल के लिए अन्य राज्यों के खिलाड़ियों को 3 करोड़ रुपये दिए जाते हैं. कोई समानता क्यों नहीं है? ज्योति ने आगे कहा, ‘मेरे पैरेंट्स ने बहुत ही त्याग किया है, लेकिन हमें अभी तक जीवन यापन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है’.

पिता सिक्योरिटी गार्ड, कमाते हैं सिर्फ 7 हजार

ज्योति आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है. उनके पैरेंट्स भी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है और ना ही उनके पास कमाई का कोई बड़ा जरिया है. महिला खिलाड़ी के पिता सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं. जिससे उनके घर का गुजरा चलता है. इससे उन्हें महीने के सिर्फ 7 हजार रुपये मिलते हैं. इतने कम पैसों में एक परिवार का गुजारा होना काफी मुश्किल है. ज्योति अपने खेल से अपनी और फैमिली की जिंदगी को बदलना चाहती है, लेकिन उन्हें इसी बीच सरकार से आर्थिक मदद की भी उम्मीद है. अब देखना होगा कि ज्योति की आवाज सरकार तक पहुंचती है कि नहीं और पहुंचती भी है तो इस पर आंध्रप्रदेश की सरकार क्या फैसला लेती है.

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