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परिंदों के अन्नदाता! 20 सालों से दे रहे दाना-पानी, घर में सुबह से ही लग जाता है चिड़ियों का जमावड़ा

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Feb 12, 2025    150819 views     Online Now 361

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के गोविंदगढ़ में एक रिटायर्ड शिक्षक पिछले 20 सालों से चिड़ियों को खाना खिलाते आ रहे है. उनका मानना है कि इंसान तो अपना पेट भर लेता है पर पक्षियों का पेट कैसे भरे. इसी सोच के चलते ये पिछले कई सालों से इनके खाने पीने की व्यवस्था करते आ रहे है. उनके घर पर सुबह होते ही काफी संख्या में पक्षी इकट्ठा हो जाते है और उनका इंतजार करते रहते हैं. जैसे ही वो आवाज लगाते हैं वैसे ही सभी आकर भोजन करने लगते है.

रीवा जिले के गोविंदगढ़ के रहने वाले 87 वर्षीय जुगल किशोर यादव एक रिटायर्ड शिक्षक है, जो पिछले 20 सालों से चिड़ियों को भोजन पानी कराते आ रहे हैं. यह काम अब उनकी दिनचर्या बन चुकी है. सुबह सात बजते ही उनके घर पर चिड़ियों का जमावड़ा लग जाता है और चिड़िया अपने भोजन पानी का इंतजार करने लगती है. चिड़ियों के पहुंचने के बाद जुगल किशोर दाना पानी लेकर पहुंचते हैं और चिड़ियों को आवाज लगाने लगते है, आ जाओ आ जाओ. उनकी आवाज सुनते ही चिड़ियां आ जाती हैं और भोजन करने लगती है. उनका इन चिड़ियों से बहुत लगाव है और वो करीब 20 सालों से इसी तरह हर रोज इन्हें भोजन पानी कराते आ रहे है.

पक्षियों का खिलाते हैं खाना

इसके अलावा पर्यावरण को बढ़ावा देने के उद्देश से उन्होंने अपने घर में काफी संख्या में पेड़ पौधे भी लगा रखे हैं जो पर्यावरण के लिए काफी लाभदायक है. भारतीय शास्त्रों के अनुसार, पक्षियों को दाना डालने से पुण्य की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि पक्षियों को दाना डालने और पानी पिलाने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख-शांति आने लगती है. गर्मी का मौसम शुरु होने वाला है. ऐसे में सबसे ज्यादा समस्या पक्षियों को होती है. जुगुल किशोर यादव की यह पहल काफी सराहनीय है और सभी को इस तरह का प्रयास करना चाहिए, जिससे पक्षियों को भोजन पानी मिल सके.

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समाज को दे रहे ये संदेश

पूरे विश्व में जीवों से लेकर पक्षियों को बचाने की पहल लोग कर रहे हैं और भारत में तो प्रकृति का वरदान है. हिमालय से लेकर कन्या कुमारी तक पहाड़ जंगल और पेड़ पौधे हैं, जहां हजारों किस्म के पक्षी रहते आए हैं लेकिन बढ़ती आबादी और शहरों के विकास के चलते अब पक्षियों का पलायन शुरू हो गया. इनकी संख्या में भी कमी आ गई है. ऐसे में जुगुल किशोर के यहां इस तरह पक्षियों को देखकर लगता है कि हर शहर हर प्रान्त में ऐसी परंपरा होनी चाहिए, जहां पक्षियों को दाना मिले और यह सब सुरक्षित रहे. जिससे आने वाली पीढ़ियां इन्हें सब देख सके.

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