जस्टिन ट्रूडो और डोनाल्ड ट्रंप.
उत्तरी अमेरिका के तीन देशों में परस्पर ठन गई है. तीनों पड़ोसी हैं और तीनों का एक-दूसरे के बिना जीना मुहाल है. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सीमा के उत्तर और दक्षिण के पड़ोसी देशों, कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है. यानी इन देशों से एक रुपये की कीमत पर आई वस्तु पर अब अमेरिकन्स को सवा रुपये देना होगा. इस तरह अमेरिकी जनता भी महंगाई के बोझ से दबेगी और कनाडा व मैक्सिको के निर्यात में कमी आएगी. जाहिर है, उनके यहां रोजगार में मंदी आएगी. वहां भी महंगाई चरम पर पहुंचेगी. कनाडा ने भी पलटवार करते हुए अमेरिका के माल पर 25 प्रतिशत आयात कर लगाने की घोषणा की है. ट्रंप ने इन दोनों देशों के अलावा चीन से आने वाले प्रॉडक्ट पर भी 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है.
भारत ने इंपोर्ट ड्यूटी कम कर ट्रंप को पटाया!
शुक्र है कि ट्रंप की भ्रकुटी अभी भारत की तरफ नहीं तनी है. शायद इसकी एक वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मधुर संबंधों का होना भी हो. मगर, भारत ने पहल करते हुए आम बजट में जिन विदेशी चीजों पर आयात कर की छूट की घोषणा की है उनमें अमेरिका से आयात होने वाली हार्ले डेविडसन (HARLEY-DAVIDSON) की बाइक भी है. इसकी और दूसरी विदेशी कंपनियों की 1600 CC की बाइक खरीदने पर अब 10 प्रतिशत कम टैरिफ देना होगा. पहले इस पर 50 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी देनी पड़ती थी, अब 40 पर्सेंट देनी होगी. ट्रंप ने इस बाइक पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने को कहा था. जाहिर है, मोदी सरकार ट्रंप से रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहती. हो सकता है, भविष्य में एलन मस्क की टेस्ला कार के आने का रास्ता साफ हो जाए.
एलन मस्क की टेस्ला पर फैसला अभी नहीं
भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर छूट देने की घोषणा की हुई है. मगर इसके लिए जो कार निर्माता भारत में अपना कारख़ाना लगाएगा, उसे ही इसका लाभ मिलेगा. KIA यूं तो चाइनीज गाड़ी है लेकिन उसने अपनी यूनिट भारत में लगाई है इसलिए छूट का लाभ उसे मिल रहा है. मगर, टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने ऐसी कोई इच्छा जताई नहीं है कि टेस्ला का कारखाना भारत में लगाएंगे. अलबत्ता उन्होंने जर्मनी में एक कारखाना जरूर लगाया जो भारत के अनुरूप राइट हैंड ड्राइव कार बनाएगा. एलन मस्क ने टेस्ला इंडिया मोटर्स ऐंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड नाम से रजिस्ट्रेशन अवश्य कराया है लेकिन टेस्ला कार यहां बनाएंगे या नहीं, इस पर उन्होंने कुछ भी साफ नहीं कहा.
अब तो ब्राजील ने भी आंखें दिखाईं
ट्रंप ने पद संभालते ही ब्रिक्स (BRICS) देशों को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने व्यापार में अपनी कोई मुद्रा अपनाई तो फिर वो इन देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगा देंगे. इन देशों में ब्राजील, रूस, चीन और साउथ अफ़्रीका के अलावा भारत भी है. अब इस संगठन का विस्तार हो गया है और मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात भी इसमें शामिल हो गए हैं. इन देशों ने व्यापार में डॉलर से अलग अपनी कोई मुद्रा लाने की बात की थी. इससे ट्रंप भड़क गए थे. ब्राज़ील को तो वो लगातार धमकी दे रहे हैं. चीन पर टैरिफ बढ़ा ही दिया. ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने भी कहा है, अगर ट्रंप ऐसी कोई कार्रवाई करेंगे तो ब्राज़ील भी जवाब पक्का देगा. राष्ट्रपति लूला ने कहा है, अमेरिका दूसरे देशों का सम्मान करना सीखे.
दुनिया के सभी देश अन्योन्याश्रित
दुनिया अब बहु ध्रुवीय है. अब अमेरिका की दादागिरी मानने को कोई तैयार नहीं क्योंकि दुनिया के सभी देश अन्योन्याश्रित (एक-दूसरे पर आश्रित) हैं. मैक्सिको को लेकर अमेरिका के बड़बोले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आज भले परवाह न करें लेकिन वो यह शायद भूल जाते हैं कि मैक्सिको ही अमेरिका को खाद्य सामग्री की आपूर्ति करता है. ताजे फल और सब्ज़ियां, खाद्यान्न आदि सब चीजें मैक्सिको से ही आती हैं. अमेरिका में एक हफ्ते के भीतर हाहाकार मच जाएगा. वहां पर लोग स्टॉक नहीं करते, आम तौर पर रोज ही फल, सब्जी आदि खरीदते हैं. इसी तरह कनाडा अमेरिका को पेट्रो उत्पाद और ऊर्जा की सप्लाई करता है. कनाडा से अमेरिका के कारखानों के लिए लकड़ियां भी जाती हैं. अमेरिका के बहुत सारे कारखाने कनाडा की लकड़ियों से ही चलते हैं. ट्रंप ने ऊर्जा सप्लाई के मामले में कनाडा पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया है.
EU पर अंकुश लगा तो अमेरिका बर्बाद होगा
अमेरिका अपनी मनमानी पर उतारू है. ट्रंप अब ईयू (EU) पर भी टैरिफ लगाने की बात करने लगे हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो बहुत भारी मंदी का दौर आ जाएगा. बढ़ती महंगाई से इन्फ्लेशन बहुत तेजी से ऊपर जाएगा. कनाडा में वकील और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ उत्कर्ष तिवारी बताते हैं कि ट्रंप के इन फैसलों से कनाडा, मैक्सिको और खुद अमेरिका में भी तबाही आएगी. इसीलिए ट्रंप के यह इमरजेंसी एग्जीक्यूटिव पावर्स यूएसए के कोर्ट्स में चैलेंज किए जा रहे हैं लेकिन ट्रंप किसी भी न्यायिक प्रक्रिया को पालन करने में रुचि नहीं दिखा रहे. अमेरिका के इस नए राष्ट्रपति के फैसले उत्तरी अमेरिका के सभी देशों को तबाह कर रहा है. ब्राजील और कोलम्बिया के लोगों के प्रति उनकी नफरत इसी की निशानी है.
लोकतंत्र को खत्म करेंगे ट्रंप
टोरंटो में HTM मीडिया हाउस में संपादक राकेश तिवारी कहते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र को चौपट करने पर तुले हुए हैं. इसकी वजह है उनका कुछ उद्योगपतियों के इशारे पर चलना. अमेरिका फर्स्ट का नारा देकर वो न अमेरिका के लोगों का भला कर पा रहे हैं न कनाडा का, जिसको अमेरिका अपना छोटा भाई कहता रहा है. कनाडा और अमेरिका के बीच 8891 किमी की सीमा है. यहां कहीं भी सीमा पर सेना देख-रेख नहीं करती. अमेरिका और कनाडा नासा संधि के तहत एक-दूसरे की बात मानने को बाध्य हैं. अमेरिका ही कनाडा की सीमाओं की रक्षा करता है. इसीलिए कनाडा के लोग अमेरिका को बड़ा भाई मानते हैं. यह पहली बार हुआ है जब बड़े भाई ने छोटे भाई को बेहाल कर दिया.
अमेरिका और कनाडा दोनों का नुकसान
अमेरिका से महेंद्र सिंह बताते हैं कि अमेरिका और कनाडा दोनों को इस तनातनी का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि दोनों का एक-दूसरे के बिना काम नहीं चल पाएगा. अमेरिका में भुखमरी के हालात होंगे तो कनाडा में बेरोजगारों की फौज खड़ी हो जाएगी. एक अनुमान के अनुसार, कनाडा के सबसे समृद्ध प्रांत ओंटारियो में ही 5 लाख लोग बेरोजगार हो जाएंगे. जिन-जिन कंपनियों के ऑफिस कनाडा में हैं, वो अपने दफ्तर हटा लेंगे और अगर कनाडा यूरोपियन यूनियन (EU) तो अमेरिका के हाथ से डॉलर की पावर भी चली जाएगी. यूरोप के सभी देश अमेरिका के खिलाफ ही हैं. राकेश तिवारी बताते हैं कि कुछ ज्योतिषियों ने तो भविष्यवाणी की हुई है कि ट्रंप अमेरिका के आखिरी राष्ट्रपति साबित होंगे.
फेनाटाइल की तस्करी
मजे की बात कि ट्रंप मैक्सिको, चीन और कनाडा पर ड्रग तस्करी का आरोप लगा रहे हैं. मगर, जाते हैं कि गन कल्चर का जनक तो अमेरिका है. हालांकि, ट्रंप का कहना है कि फेनाटाइल नशे की तस्करी काबू में नहीं है. यह हेरोइन से भी खतरनाक है. अमेरिका में करीब 76 हजार लोग इस नशे से जान गंवा चुके हैं. यह कोई प्राकृतिक पौधे से नहीं मिलता बल्कि इसे कृत्रिम तरीके से बनाया गया है. इसका एक मिलीग्राम डोज भी इंसान की जान ले लेता है. बताया जाता है कि इसे चीन में तैयार किया गया है और चीन अमेरिका को तबाह करने के लिए कनाडा और मैक्सिको सीमा से इसे अमेरिका भिजवाता है. ट्रंप भूल जाते हैं कि दुनिया भर में जिन फार्मा कंपनियों के कारपोरेट हाउस अमेरिका में हैं और दवा भी अमेरिका में बनती है, वो दर्द निवारक के लिए फेनाटाइल का इस्तेमाल करते हैं.
लड़ाई ईगो की
अमेरिका के फिलाडेल्फ़िया शहर में रह रहे अतुल अरोड़ा बताते हैं कि पिछली बार मेक्सिको से stay in Mexico illegal immigrationts के लिए पालिसी बार्गेन था. इस बार ड्रग कार्टेल पर नकेल कसने का अतिरिक्त दबाव है. खतरनाक केमिकल नशा फ़ेनाटाइल पिछले सालों में बेलगाम हो गया है. फिलाडेल्फिया, ह्यूस्टन , लॉस एंजिल्स सब जगह नशाखोरी बेकाबू है. चीन का मामला जटिल है, प्रोडक्शन पावरहाउस है. यहां की चालीस पचास प्रतिशत फार्मलैंड की मॉर्टगेज उसके पास गिरवी है. मुझे यह नए शीत युद्ध की शुरुआत लगती है.
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login