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जब IST पहले से लागू तो क्यों पड़ी वन नेशन वन टाइम की जरूरत? समझें क्या है समय का विज्ञान

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Jan 27, 2025    150842 views     Online Now 248
जब IST पहले से लागू तो क्यों पड़ी वन नेशन वन टाइम की जरूरत? समझें क्या है समय का विज्ञान

समझें क्या है समय का विज्ञान.

भारत में लंबे समय से IST प्रणाली के अनुसार ही समय माना जाता रहा है. ऐसे में सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर जब देश इसी समय के अनुसार चल रहा है तो फिर वन नेशन वन टाइम की क्या जरूरत है? इस खबर में यही समझेंगे कि घड़ी की सुइयां आखिर कहां गड़बड़ कर देती हैं. मानव सभ्यता के विकास में सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है. यह न केवल हमारे दैनिक जीवन को संचालित करता है बल्कि वैश्विक तकनीकी और आर्थिक संचालन का भी आधार है.

भारतीय मानक समय यानि IST भारत का आधिकारिक समय क्षेत्र है, जिसे कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC) से 5 घंटे 30 मिनट आगे निर्धारित किया गया है. परंतु, वन नेशन वन टाइम का विचार और वैज्ञानिक प्रयास यह सवाल उठाते हैं कि क्या IST पर्याप्त है, और क्यों समय का विज्ञान अधिक सटीकता और समानता की मांग करता है?

समय प्रबंधन और IST का विज्ञान

भारतीय मानक समय का प्रबंधन सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) करती है, जो UTC के साथ तालमेल बैठाने का काम करती है. NPL में इस्तेमाल की जाने वाली सीजियम और हाइड्रोजन मेसर घड़ियां समय मापन में असाधारण सटीकता प्रदान करती हैं. समय को मापने और प्रेषित करने के लिए GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) और TWSTFT (टू वे सैटेलाइट टाइम एंड फ्रीक्वेंसी ट्रांसफर) जैसे अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है.

समय मापने की तकनीकी प्रक्रिया

NPL में समय मापने की प्रक्रिया में प्राथमिक टाइम स्केल का उपयोग होता है, जो परमाणु घड़ियों की सटीकता पर आधारित है. GNSS प्रणाली के जरिए समय को स्थानांतरित किया जाता है. साथ ही, TWSTFT पद्धति का उपयोग करके समय के संकेतों का आदान-प्रदान किया जाता है. इन तकनीकों से ±2.8 नैनोसेकंड की अनिश्चितता के साथ समय को सटीक बनाया जाता है.

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इसमें खास बात ये समझने वाली है कि NPL, GNSS और TWSTFT की प्रणाली में कुछ नैनोसेकंड ही सही पर समय मे हेर-फेर तो है. सरकार इन्हीं सब समय को एक करना चाहती है. इसीलिए सरकार को वन नेशन वन टाइम लाने की जरूरत पड़ी है.

भारत जैसे बड़े और विविध भौगोलिक क्षेत्र वाले देश में समय क्षेत्र में अंतराल की चुनौती है. पूर्वोत्तर भारत और गुजरात जैसे पश्चिमी राज्यों के बीच सूर्योदय और सूर्यास्त में बड़ा अंतर है. ऐसे में ONOT का विचार यह सुनिश्चित कर सकता है कि देश में सभी जगह एक समान समय प्रणाली हो. इससे न केवल समय प्रबंधन में सुधार होगा, बल्कि ऊर्जा की बचत और उत्पादकता में भी बढ़त मिलेगी.

वन नेशन वन टाइम के फायदे

समय के विज्ञान में सटीकता कई क्षेत्रों में लाभदायक है. उच्च सटीकता वाले समय प्रबंधन से संचार प्रणाली, अंतरिक्ष अनुसंधान, बैंकिंग और डेटा ट्रांसफर जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है. GNSS और TWSTFT तकनीकें समय मापन में क्रांति ला रही हैं, जिससे भारत वैश्विक समय प्रबंधन प्रणाली में मजबूत स्थान बना रहा है. ऐसे में जब कुछ सेकंड के टाइम में भी सुधार हो जाएगा तो किसी भी हेर-फेर की जरा भी गुंजाइश नही रहेगी.

वन नेशन वन टाइम की अवधारणा न केवल समय प्रबंधन को सुधारने का लक्ष्य रखती है, बल्कि इसे देश के आर्थिक और सामाजिक तंत्र में सुधार लाने के लिए भी देखा जा रहा है. इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि यह अवधारणा ऊर्जा खपत को कम कर सकती है और व्यापार, परिवहन और शिक्षा के क्षेत्रों में समानता लाई जा सकती है.

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Time Update (1)

समय प्रबंधन में साइबर सुरक्षा का महत्व

समय प्रबंधन का महत्व साइबर सुरक्षा में भी अहम होता है. सभी सेवा देने वाली कंपनियां और संगठनों को NPL टाइम के हिसाब से संचालित किया जाता है. वहीं यह न केवल सुरक्षा बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि देश की डिजिटल संरचना को भी मजबूत बनाता है.

अंतरिक्ष अनुसंधान और रक्षा क्षेत्र में समय की सटीकता का विशेष महत्व है. भारत में ISRO और DRDO जैसी एजेंसियां समय प्रबंधन में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करती हैं. NPL द्वारा प्रदान किया गया सटीक समय इन संगठनों के मिशनों की सफलता सुनिश्चित करता है. इससे इसरो के और बाकी के समय में थोड़ा बहुत ही पर कुछ तो इधर-उधर होता है. वहीं पूरा टाइम जोन एक होने पर पूरे देश की हर संस्था का समय सटीक रहेगा.

समय का विज्ञान और आम जीवन

समय प्रबंधन की सटीकता का सीधा असर आम जीवन पर पड़ता है. बैंकिंग, परिवहन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में यह सुनिश्चित करता है कि सभी कार्य सुचारू रूप से और सही समय पर हों. सटीक समय प्रबंधन से न केवल कार्यकुशलता में बढ़त होती है, बल्कि ऊर्जा की बचत भी होती है. ONOT जैसे विचार ऊर्जा खपत को नियंत्रित करने और इसे अधिक कुशल बनाने में मदद कर सकते हैं.

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