विश्व विख्यात उर्दू के मशहूर शायर शीन काफ निजाम को साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की है. शीन काफ निजाम नाम से मशहूर शायर का असली नाम शिवकिशन बिस्सा है, जो कि राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले है. बिस्सा उर्दू बिजली विभाग में काम करते थे. हालांकि, उन्होंने समय से ही पहले ही रियार्टमेटं ले लिया था. विस्सी की उर्दू का साथ-साथ फारसी पर भी अच्छी पकड़े हैं.
शीन काफ निजाम नाम से मशहूर शायर को कोई भी नहीं बता सकता है कि वह एक ब्राह्मण परिवार से है. शीन दुनिया के कई देशों में मुशायार कर चुके हैं. उन्होंने फारसी के मशहूर शायर मीर ताकि मीर और मिर्ज़ा ग़ालिब पर बहुत काम किया है. पद्मश्री की घोषणा के बाद से ही शायर शीन के परिवार वाले और शहरवासी काफी खुश है. इससे पहले उनकी एक कविता संग्रह ‘मशुदा दैर की गूंजती घंटियां’ के लिए साल 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
‘एक दिन मिल ही जाता है इनाम’
उर्दू की दुनिया में शीन काफ निजाम ने बहुत ही बेहतरीन काम किया है. जब-जब उर्दू शायरियों की बात होती है, तो शीन की खूब चर्चा होती है. मशहूर गीतकार और साहित्यकार गुलजार, शीन काफ निजाम के बहुत ही अच्छे दोस्त है. अच्छी दोस्ती की अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भी गुलजार जोधपुर आते है तो शीन काफ निजाम से मिलने उनके घर जरूर जाते है. शीन का घर जोधपुर शहर के अंदर एक संकरी गली में है. पद्मश्री मिलने की घोषणा के बाद निजाम कहते है कि आदमी को अपना काम करते रहना चाहिए. एक दिन इनाम मिल ही जाता है.
संस्कृत में हुई थी पढ़ाई
आगे शीन कहते है कि मैं उन सभी लोगों का बहुत ही शुक्रगुजार हु, जिन्होंने मेरा हर मुकाम पर साथ दिया. उर्दू और फारसी की शायरी किसी मजहब की जुबान नहीं है. उर्दू और फारसी को मजहब के साथ जोड़कर देखा जाता है, जिसके लिए हम खुद और सरकारें जिम्मेदार है. शीन की पढ़ाई संस्कृत भाषा में हुई थी. बाद में उन्होंने उर्दू और फारसी भाषा सीखी थी.
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