कुंभ में तैनात आग बुझाने वाला आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर
प्रयागराज में लगे महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार शाम को आग लग गई. गीता प्रेस के कैंप में आग से 180 से 200 कॉटेज जल गए. हालांकि, फायर ब्रिगेड की 12 गाड़ियों ने एक घंटे में लपटों पर काबू पा लिया वरना आग और भड़क सकती थी. इसके लिए अग्निशमन विभाग की तैयारियां काम आईं.
खासतौर से आग बुझाने के लिए मेला क्षेत्र में आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर से लेकर रोबोट तक तैनात किए गए हैं. आइए जान लेते हैं कि क्या है आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर?
महाकुंभ मेला क्षेत्र में तैनात किए गए एडब्ल्यूटी
महाकुंभ मेले में आग से निपटने के लिए यूपी अग्निशमन विभाग ने विशेष तैयारियां कर रखी हैं. विभाग की ओर से मेला क्षेत्र में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस चार आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर (एडब्ल्यूटी) तैनात किए गएहैं. इनको मेला क्षेत्र में विशेषकर टेंट सिटी और बड़े टेंट सेटअप के आसपास लगाया गया है. ये एडब्ल्यूटी वीडियो और थर्मल इमेजिनिंग सिस्टम से भी लैस हैं. इनके जरिए मेला क्षेत्र में लगने वाली आग पर तो काबू पाया ही जाएगा, ये दमकलकर्मियों और आम लोगों के जीवन रक्षण में भी मदद करेगी. एडब्ल्यूटी वास्तव में जोखिम से भरे आग से जुड़े अभियानों को अंजाम देने के साथ ही लोगों के लिए सुरक्षा कवच के रूप में भी काम करने में सक्षम है.
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अत्याधुनिक अग्निशमन वाहन में कई सुविधाएं
वास्तव में आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर (एडब्ल्यूटी) एक अत्याधुनिक अग्निशमन वाहन है. इसमें काफी ऊंचाई तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां लगी हैं. इसलिए मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल बहुमंजिला भवनों और विशेष ऊंचाई वाले टेंट में लगी आग बुझाने में किया जाता है. इसमें चार बूम का इस्तेमाल किया गया है, जिससे एडब्ल्यूटी के जरिए 35 मीटर की ऊंचाई और 30मी की क्षैतिज दूरी तक पहुंच कर आग बुझाई जा सकती है. वीडियो और थर्मल इमेजिंग कैमरे से लैस होने के कारण इसके जरिए किसी बिल्डिंग में लगी आग की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. अंदर का वीडियो मिलने से यह भी पता लगाया जा सकता है कि बिल्डिंग में कोई फंसा तो नहीं है.
आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर की सीढ़ी होती है खास
आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर में लगी सीढ़ियों के कारण ही इसे टावर की संज्ञा दी जाती है, क्योंकि ये काफी ऊंचाई तक पहुंचने में सक्षम होती हैं. यह सीढ़ी फायर फाइटर्स की सुविधा के अनुसार उनको ऐसी जगह पहुंचाती है, जहां से आग पर पानी डालना संभव होता है. इसके अलावा इन्हीं सीढ़ियों के जरिए लोगों को आग से निकाला भी जाता है. ये ऐसी साढ़ियां होती हैं, जो अलग-अलग एंगल पर घूम कर आग बुझाने और राहत-बचाव कार्य में मदद करती है. इसमें लगा पानी का टैंक भी काफी बड़ा होता है. इसलिए बार-बार पानी भरने की जरूरत नहीं पड़ती. जरूरत पड़ने पर इसे सीधे पानी के स्रोत से भी जोड़ा जा सकता है.
आमतौर पर अग्निशमन विभाग के पास सामान्य दमकल होती है. इसमें सामान्य ऊंचाई तक पहुंचने वाली एक सीढ़ी, गाड़ी में लगा वाटर टैंक और आग बुझाने के लिए पाइप और नोजल होता है. इसके साथ एक और कॉन्सेप्ट है एम्बुलेंस का. कई स्थानों पर फायर फाइटिंग गाड़ियों के साथ ही एम्बुलेंस भी मौजूद रहती है, जिससे अगर कोई आग में फंसकर चोटिल या बीमार पड़ जाए तो उसे प्राथमिक उपचार देने के साथ ही अस्पताल पहुंचाया जा सके. कई विकसित देशों और बड़े शहरों में यह कॉन्सेप्ट आम है कि दमकल के साथ एम्बुलेंस भी घटनास्थल पर पहुंचती है.
फायर रोबोट भी तैनात किए गए
महाकुंभ में आग से सुरक्षा के लिए फायर रोबोट भी तैनात किए गए हैं. फायर रोबोट ऐसे क्षेत्र में भी जाकर आग बुझाने में सक्षम हैं, जहां फायर फाइटर नहीं पहुंच पाते. पतली, संकरी और ऊबड़-खाबड़ रास्ते से भी ये आराम से जाकर आग पर काबू पाते हैं. इससे आग में फंसकर फायर फाइटर की जान पर आफत नहीं आती.
महाकुंभ में आग से निपटने के लिए इतना बजट
महाकुंभ में आग की घटनाओं को रोकने के लिए अग्निशमन विभाग को 66.75 करोड़ रुपये का बजट सरकार की ओर से दिया गया है. विभाग की ओर से 64.73 करोड़ का बजट तय किया गया है. कुल 131.48 करोड़ रुपये से महाकुंभ के लिए आधुनिक तकनीक वाले फायर फाइटिंग वाहन और उपकरण खरीदकर मेला क्षेत्र में तैनात किए गए हैं. इनमें 351 से अधिक अग्निशमन वाहन हैं. 2000 से अधिक प्रशिक्षित अग्निशमनकर्मी भी नियुक्त हैं. मेला क्षेत्र में 50 से अधिक अग्निशमन केंद्र बनाए गए हैं. इनके अलावा 20 फायर पोस्ट बनाई गई हैं.
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