एनसीपी नेता धनंजय मुंडे
महाराष्ट्र के चर्चित संतोष देशमुख हत्याकांड पर रोज-रोज हो रहे खुलासे ने धनंजय मुंडे की कुर्सी को खतरे में डाल दिया है. एक तरफ जहां विपक्षी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मुंडे के खिलाफ हमलावर हैं. वहीं दूसरी तरफ मुंडे अब धीरे-धीरे सरकार और संगठन में भी अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं.
धनंजय मुंडे से जुड़े हालिया तीन एक्शन के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या मुंडे का देवेंद्र फडणवीस कैबिनेट से विकेट गिर सकता है? बीजेपी से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले मुंडे बीड के बड़े नेता माने जाते हैं. मुंडे को राजनीति अपने चाचा गोपीनाथ मुंडे से विरासत में मिली है.
वाल्मीकि कराड पर कसता शिकंजा
संतोष देशमुख हत्याकांड के मुख्य आरोपी वाल्मीकि कराड पर लगातार महाराष्ट्र पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है. मंगलवार को पुलिस ने कराड पर मकोका के तहत एक्शन लिया है. जांच के लिए गठित एसआईटी ने कोर्ट को बताया कि देशमुख की हत्या जबरन वसूली के लिए किया गया है.
एसआईटी के दावे के मुताबिक कराड हत्यारों के संपर्क में था. एसआईटी के इस बयान के बाद से ही महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मची हुई है. कोर्ट ने 7 दिन के लिए कराड को रिमांड में भेजा है.
क्या गिरेगा मुंडे का विकेट, 3 संकेत
1. पीएम के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए- बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में एनडीए विधायकों के साथ कॉर्डिनेशन को लेकर एक बैठक की. इस बैठक में मोदी ने महायुति को और विस्तार को लेकर सभी विधायकों को सीख दी. मोदी ने कहा कि सभी विधायक एक-दूसरे के अच्छे कामों को सीखने का प्रयत्न करें, जिससे उनका क्षेत्र काफी विकसित होगा.
सहयोगियों के साथ कॉर्डिनेशन कैसे मजबूत हो, इसके गुर भी मोदी ने विधायकों को बताया. दिलचस्प बात है कि इतनी अहम बैठक से धनंजय मुंडे नदारद रहे. कहा जा रहा है कि मुंडे को बैठक में बुलाया ही नहीं गया था.
उद्धव ठाकरे के सांसद संजय राउत ने इसको लेकर तंज कसा है. राउत का कहना है कि जब सरकार में धनंजय शामिल हैं, तो उनके साथ अन्याय क्यों किया जा रहा है?
2. अजित पवार पर सियासी प्रेशर- अजित पवार अब तक धनंजय को लेकर फ्रंटफुट पर थे, लेकिन जिस तरीके से धनंजय को लेकर एसआईटी ने खुलासा किया है, उससे अजित पर भी सियासी प्रेशर बढ़ता जा रहा है. इधर, बीड में कराड के समर्थक भी बवाल काटे हुए हैं. कराड के समर्थकों का कहना है कि राजनीतिक द्वेष की वजह से उन्हें फंसाया जा रहा है.
यही वजह है कि अजित पवार ने बीड की पूरी कार्यकारिणी को बर्खास्त कर दिया है. प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे के लेटरपेड से जारी आदेश में कहा गया है कि अब जांच-परख के बाद नई कार्यकारिणी का गठन होगा.
बीड में एनसीपी की कार्यकारिणी बर्खास्त होने के बाद बुधवार शाम को अजित पवार से धनंजय मुंडे ने मुलाकात की है.
3. सहयोगियों की भी बढ़ रही मुश्किलें- सरकार में धनंजय की वजह से एनसीपी के अन्य मंत्री भी परेशान बताए जा रहे हैं. दरअसल, चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मोश्रिफ और सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल ने हाल ही में अपने विभाग से जुड़े कुछ फैसले किए थे, जिस पर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से स्टे लगा दिया गया.
हालांकि, कौन से फैसले थे और उन पर क्यों स्टे लगाया गया है, इसकी जानकारी मीडिया में नहीं आई है.कहा जा रहा है कि अजित पवार इस वजह से नाराज भी हैं. मंगलवार रात को अजित ने अपने आवास पर इसको लेकर बड़े नेताओं की एक बैठक भी बुलाई थी.
अजित के करीबी हैं धनंजय मुंडे
चाचा गोपीनाथ मुंडे की देखरेख में राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले धनंजय मुंडे बाद में शरद पवार के पाले में आ गए. 2014 में विधानपरिषद के जरिए मुंडे सदन में आए. यहां पर वे नेता प्रतिपक्ष भी बनाए गए. 2019 में मुंडे पहली बार परली सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने.
अजित ने जब सरकार गठन को लेकर बगावत किया, तो मुंडे अजित के साथ चले गए, लेकिन अजित की वापसी के बाद मुंडे को भी उद्धव कैबिनेट में शामिल किया गया. 2023 में एनसीपी की टूट के वक्त धनंजय अजित के साथ थे. अजित के साथ धनंजय भी मंत्री बने.
2024 में धनंजय की वजह से बीजेपी परली के मैदान में नहीं उतरी. 2024 में जब सरकार गठन हुआ तो धनंजय को भी एनसीपी कोटे से जगह मिली. धनंजय के पास खाद्य, उपभोक्ता एवं आपूर्ति विभाग है.
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