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भारत में मोबाइल सेवाएं होंगी और बेहतर! शुरू हुई 96 हजार करोड़ के 5G Spectrum की नीलामी, क्या Jio होगी टॉप बिडर ?

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Jun 25, 2024    150865 views     Online Now 464

5G Spectrum Auction: केंद्र सरकार ने मंगलवार को ऐलान किया कि टेलीकॉम सर्विसेज के लिए 96 हजार 238.45 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू कर दी गई है. संचार मंत्रालय (Department of Telecommunications) ने बताया है कि इसमें अलग-अलग बैंड के 10,522.35 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी. इसका रिजर्व प्राइस 96,238.45 करोड़ रुपये रखा गया है. इस नीलामी में 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड के लिए बोलियां लगाई जाएंगी. नीलामी की प्रक्रिया आज सुबह 10 बजे से शुरू हो गई है.

3 कंपनियां लगाएंगी दांव

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्सपर्ट ने एक अंदाजा लगाया है और बताया है कि तीन टेलीकॉम कंपनियां करीब 12500 करोड़ रुपये की कीमत के स्पेक्ट्रम को खरीद सकते हैं, जो 96,320 करोड़ रुपये की कीमत वाले एयरवेव का सिर्फ 13 पर्सेंट है.

रिलायंस जियो ने जमा की सबसे ज्यादा रकम

रिलायंस जियो ने स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए सबसे अधिक 3000 करोड़ रुपये की बयाना रकम जमा की है. इस आधार पर कंपनी सबसे ज्यादा रेडियो फ्रीक्वेंसी के लिए बोली लगा सकती है. दूरसंचार विभाग के मुताबिक भारती एयरटेल ने 1050 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया (वीआईएल) ने 300 करोड़ रुपये की बयाना राशि जमा की है. कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड अपने स्पेक्ट्रम यूसेज चार्जेज को कम करने के लिए खास तौर से 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में रणनीतिक अधिग्रहण पर फोकस कर सकती है.

मंत्रालय ने कहा है कि यह सरकार की ओर से सभी नागरिकों को किफायती दर पर अच्छी गुणवत्ता की टेलीकॉम सर्विसेज उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है. दूरसंचार विभाग की ओर से स्पेक्ट्रम की प्रक्रिया 8 मार्च को शुरू की गई थी.
स्पेक्ट्रम 20 साल के लिए अलॉट किया जाएगा. बोली जीतने वाली कंपनियों को अगले 20 साल में 20 किस्तों में इसका पेमेंट करना होगा. हालांकि इस दौरान कंपनियों को एनपीवी पर 8.65 प्रतिशत का ब्याज देना होगा.

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क्या होता है स्पेक्ट्रम?

टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल, वॉइस और डेटा कनेक्टिविटी के लिए स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल होता है. स्पेक्ट्रम को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल कम्युनिकेशन की अलग-अलग सर्विस के लिए किया जाता है. टेलीकॉम कंपनियां इन स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करके अपने यूजर्स को बेहतर कनेक्टिविटी देने की कोशिश करती हैं. किसी भी एयरवेव का काम एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस के बीच वायरलेस कनेक्टिविटी स्थापित करना है.

5G और बेहतर कनेक्टिविटी

ये नीलामी लगभग दो साल के अंतराल के बाद हो रही है, पिछली नीलामी अगस्त 2022 में हुई थी.
इस बार 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड सहित 5G सेवाओं के लिए उपयुक्त एयरवेव को प्राथमिकता दी गई है.
यह सभी नागरिकों को ‘सस्ती, हाई क्वालिटी टेलीकॉम सर्विसेज देने के लिए सरकार के लक्ष्य के अनुरूप काम करता है.

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